‘नमामि देवी नर्मदे’ नर्मदा सेवा यात्रा के दौरान अलीराजपुर में सम्मलित हुए प्रख्यात योगगुरु बाबा रामदेव एवं अहिंसा विश्व भारती के संस्थापक जैन आचार्य डा. लोकेश मुनि का आभार व्यक्त करते हुए मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि पूरी दुनिया को अहिंसा का सन्देश देने वाले प्रसिद्ध संत लोकेश मुनि जी नर्मदा सेवा यात्रा में सम्मलित होकर यात्रा को धन्य कर दिया| यात्रा में उमड़े जनसैलाब को देखकर उन्होंने अंतर्मन से प्रशंसा व्यक्त की| यात्रा के पवित्र उद्देश्यों की चर्चा करते हुए उन्होंने जनता से पर्यावरण संरक्षण एवं नर्मदा को संरक्षित करने की अपील की| मुख्यमंत्री कहा कि 11 दिसम्बर से प्रारंभ हुई पवित्र नर्मदा के तटो पर 2930 किलोमीटर पर चलने वाली यात्रा लगभग 118 दिन में पूरी होगी| उन्होंने कहा कि नर्मदा नदी के तट पर लाखों पेड़ लगायें जायेंगे| नदियों के संरक्षण में सरकार के साथ साथ संतों, धर्मगुरुओं व समाज की सहभागिता आवश्यक है| उन्होंने शराब मुक्ति के लिए जनता को आह्वान करते हुए कहा कि इस सम्बन्ध में सरकार नियम व कानून बनाकर उसके पालन करने हेतु दण्ड आदि की व्यवस्था कर सकती है परन्तु प्रचलित नियमों तथा कानूनों की जानकारी समाज के सभी व्यक्तियों तक पहुँचाने एवं उनका पालन करवाने में समाज एवं स्वैच्छिक संगठनों की अहम भूमिका होती है|
आचार्य डा. लोकेश मुनि ने कहा कि धरती आवश्यकताओं की पूर्ति कर सकती है परन्तु मनुष्य की असीम लालसाओं की नहीं| विलासितापूर्ण जीवन शैली से पर्यावरण एवं प्राकृतिक संसाधनों का ह्रास हो रहा है| भगवान महावीर ने पर्यावरण संरक्षण के उद्देश्य की पूर्ति के लिए संयम आधारित जीवन शैली अपनाने की शिक्षा दी है| आचार्य लोकेश ने कहा कि जैन धर्म के 24 वें तीर्थंकर भगवान महावीर ने ‘षट् जीवनिकाय’ सिद्धांत की मौलिक प्रस्थापना की थी कि पृथ्वी, पानी, अग्नि, वायु, वनस्पति त्रसकाय ये सभी जीव है| इनका अनावश्यक छेदन भेदन न करें| आवश्यकता से अधिक इनका उपयोग न करे| उन्होंने कहा कि नदीयाँ आस्था व विकास का प्रतीक होने के साथ साथ जीवनदायिनी भी है| नर्मदा जल निर्मल एवं अविरल बहे इसके लिए आयोजित यात्रा के लिए मध्यप्रदेश सरकार एवं लाखों की संख्या में यात्रा में भाग ले रहे श्रद्धालूओं को हमारा वंदन|
योगगुरु बाबा रामदेव ने कहा कि असल में आदिपुरुष का जन्म ही नीर से हुआ है| हमें पादप वनस्पति लगाकर, इन्हें सहेजकर नदियों का संरक्षण करना होगा| सरकार, धर्मगुरुओं, पर्यावरणविदों, समाज सेवियों को संगठित होकर नदियों में प्रारंभ से अंत तक प्राकृतिक शुद्ध पानी प्रयाप्त मात्र में बहे इसके लिए उचित कदम उठाने होंगे| इससे न सिर्फ उनकी संरक्षा होंगी बल्कि उनके तटों पर रहने वाले जीव प्राणियों व वनस्पति को भी पर्याप्त मात्र में पानी मिल सकेगा| उन्होंने कहा कि नर्मदा नदी का पौराणिक, धार्मिक, अध्यात्मिक एवं सामाजिक महत्त्व होने के कारण नर्मदा के संरक्षण हेतु जागरूकता पैदा करना आवश्यक है|
प्रारंभ में मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान, योगगुरु बाबा रामदेव व आचार्य लोकेश मुनि ने पर्यावरण संरक्षण के प्रतीक ध्वज थामकर कई किलोमीटर पदयात्रा भी की|
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