GMCH STORIES

अर्न्तराष्ट्रीय व्यापार मेला में हर तरफ राजस्थान समृद्ध कला, संस्कृति और प्रगति का अनूठा संगम

( Read 13535 Times)

21 Nov 15
Share |
Print This Page
अर्न्तराष्ट्रीय व्यापार मेला में हर तरफ राजस्थान समृद्ध कला, संस्कृति और प्रगति का अनूठा संगम नई दिल्ली | प्रगति मैदान में अपनी बेजोड़ एवं अनूठी स्थापत्य कला से चमकते-दमकते राजस्थान पेवेलियन में प्रदेश की बहुरंगी कला संस्कृति एवं विशेष कर ‘’स्थानीय स्तर पर निर्मित हस्तशिल्प ‘’ को बहुत ही जीवंतता के साथ उजागर किया गया है।
हस्तशिल्प का खजाना राजस्थान मंडप प्रदेश की समृद्ध इतिहास, कला, संस्कृति व प्रगति का अनूठा संगम हैं। राजस्थान मंडप पिछले तीन दशकों से भी अधिक समय से राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में आयोजित चौदह दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार मेला में बराबर अपनी धाक जमाये हुए है। मंडप को अपने श्रेष्ठ प्रदर्शन के लिए एक से अधिक बार स्वर्ण, रजत, कांस्य और अन्य पदक मिल चुके हैं। प्रगति मैदान में आने वाला लगभग हर व्यक्ति राजस्थान मंडप को देखे बिना व्यापार मेला के अपने सफर को अधूरा मानता है।
राजस्थान पेवेलियन प्रदेश की स्थापत्य कला को प्रतिबिम्बित करता है। मण्डप की संरचना एक भव्य हवेलीनुमा भवन के रूप में की गई है। इसकी आभा दर्शकों का मन मोह लेती है और इसका हवेलीनुमा स्वरूप दर्शकों को बरबस ही अपनी ओर आकर्षित करता है। राजस्थान के हुनरमंद शिल्पकारों द्वारा बनाये भव्य मण्डप के शानदार झरोखे, जालीदार गोखड़े, कलात्मक द्वार बेजोड़ है।
मंडप के थीम एरिया में ‘मेक इन इंडिया’ के ‘लोगो’ के साथ ही ‘मेड इन राजस्थान’ की झांकी को प्रदर्शित किया गया है। विशेष रूप से राजस्थान में निर्मित होने वाली कारों और मोटर साइकिल तथा अन्य उत्पादों की डमी प्रदर्शित की गई है। साथ ही राजस्थान में विकास की विभिन्न संभावनाओं वाले क्षेत्रों विशेष कर औद्योगिक प्रगति, सौर एवं पवन ऊर्जा को प्रमुखता से उभारा गया है। इसके अलावा राजस्थान की बहुरंगी कला, संस्कृति, समृद्ध इतिहास और परम्परागत हस्तशिल्प कला के साथ ही पर्यटन उद्योग और विभिन्न क्षेत्रों में हुई प्रगति को दर्शाया गया है।
मण्डप की विषय वस्तु (थीम)
भारतीय व्यापार संर्वद्धन प्राधिकरण (आई.टी.पी.ओ.) द्वारा रखी गई इस वर्ष की थीम ’’मेक इन इंडिया‘’ के अनुरूप राजस्थान मंडप को राज्य सरकार की नोडल एजेंसी राजस्थान लघु उद्योग निगम के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक श्री जसवंत सम्पतराम और मंडप निदेशक श्री रवि अग्रवाल के मागदर्शन में तैयार किया गया है। बाहरी स्वरूप को संजाने संवारने के लिए राजस्थान के कलाकारों अपने फन का जादू बिखेरा हैं ।
मंडप में राजस्थानी स्थापत्य कला के विभिन्न रंगों से सजी-धजी उदयपुर के सिटी पैलेस के विश्व प्रसिद्ध ’’सूरज गोखड़ा’’ की प्रतिकृत्ति की नयनाभिरामी झांकी के साथ ही मंडप के मुख्य द्वार को जयपुर के ’आमेर महल के ’गणेश पोल‘ की प्रतिकृति और जयपुर शैली की पेटिंग्स से सुसज्जित किया गया है। मुख्य द्वार के दोनांे ओर राजस्थानी ऊँट की डमी का आकर्षण है। मुख्य द्वार के दोनों तरफ तीन-तीन शोकेश पैनल बनाये गये है। जिनमें राजस्थान के प्रमुख उद्योगों के उत्पादों को प्रदर्शित किया गया है। प्रवेश द्वार के बायें तरफ ज्वैलरी, लेदर एवं गारमेंट का शोकैश पैनल एवं दाई तरफ,स्टोन एवं म्यूजिक, वुलन और टैक्सस्टाईल के शौकेश पैनल बनाए गए है।
राजस्थान मण्डप में इस बार मेले की थीम ‘‘मेक इन इंडिया’’ को ध्यान में रखकर विभिन्न स्टॉल्स पर उत्पादों की उपलब्धता सुनिश्चित की गई है। वहीं स्थानीय स्तर पर निर्मित किए गए उत्पादों पर विशेष ध्यान दिया गया हैं। इनमें देश-विदेश में धूम मचाने वाली साड़ियां, लाख की चूड़ियॉ, महिलाओं के श्रृंगार के विविध आईटम्स, कलात्मक हस्तशिल्प वस्तुओं, जयपुरी रजाईयां, टैैक्सटाईल्स का सामान,चद्दरे, सलवार सूट, राजस्थानी प्रिंट की चद्दरे, सजावटी सामान, संगमरमर के उत्पाद, थेवा कला और कुंदन की ज्वैलरी सजावटी सामान, फर्नीचर आदि को प्रमुखता सेे दर्शाया गया है।
मण्डप में प्रदेश के हाड़ौती, शेखावाटी,मेवाड़,ब्रज,मेवात,ढूंढाड़,मारवाड़ एवं बीकांणा आदि विभिन्न क्षेत्रों की हस्तशिल्प कला को जगह-जगह प्रदर्शित किया गया है। मण्डप की प्रथम मंजिल पर बनाये गये ‘सेल एरिया’ में राजस्थान एम्पोरियम ’राजस्थली‘ और अन्य हस्तशिल्पियों कलात्मक एवं हस्तशिल्प वस्तुएँ उपलब्ध है। मंडप में बीकानेर की शिव शक्ति मरहम संस्था से आये श्री कैलाश जैन और श्री अशोक जैन जले हुए लोगों और चर्म रोगियों की निःशुल्क सेवा कर रहे हैं।
मण्डप के पृष्ठ भाग में राजस्थान के स्वादिष्ट व्यंजनों में मशहूर तिल पापड़ी, बीकानेर की नमकीन-भुजिया-पापड़ के साथ ही डेयरी मिल्क उत्पाद एवं अन्य खाने-पीने के स्टॉल्स के साथ ही राजस्थानी गीत एवं संगीत की मधुरता लिए वीणा कैसेट्स का स्टॉल्स दर्शकों को आकर्षित कर रहे है। मण्डप में मण्डप में पर्यटन विभाग और सूचना एवं जनसंपर्क विभाग द्वारा लगाई गई प्रदर्शनियाँ आकर्षण का केन्द्र है। मण्डप के केंद्रीय स्थल पर पर्यटन विभाग की कलात्मक हवेलीनुमा झॉकी दर्शनीय है।
राजस्थान मण्डप का शुभारंभ
नई दिल्ली के प्रगति मैदान में शनिवार को शुरू हुए चौदह दिवसीय 35वें भारतीय अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार मेले में राजस्थान लघु उद्योग विकास निगम लिमि. के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक श्री जसंवत सम्पतराम ने राजस्थान मंडप का फीता काट कर शुभारंभ किया।
मंडप निदेशक श्री रवि अग्रवाल ने श्री जसवंत सम्पतराम का मंडप में पुष्पगुच्छ भेंट कर स्वागत किया। श्री सम्पतराम ने सर्वप्रथम मुख्य थीम एरिया में ‘‘मेक इन इंडिया’’........ मेड इन राजस्थान थीम पर सजाये संवारे गये मंडप के मुख्य द्वारा के सामने निर्मित उदयपुर के सिटी पैलेस के विश्व प्रसिद्ध ’’सूरज गोखड़ा’’ की प्रतिकृत्ति के सामने गणेश प्रतिमा के पूजा-अर्चना के साथ मंडप का उद्घाटन किया। इस मौके पर राजस्थान मण्डप के निदेशक श्री रवि अग्रवाल, राजस्थान सूचना केन्द्र के अतिरिक्त निदेशक श्री गोपेन्द्र नाथ भट्ट, मंडप प्रभारी श्री आर.जी. घई, और अन्य वरिष्ठ अधिकारीगण भी मौजूद थे।
महिला स्वयं सहायता समुहों के हस्तशिल्प उत्पाद आकर्षण का प्रमुख केन्द्र
राजस्थान मंडप में महिलाओं द्वारा संचालित महिला स्वंय सहायता समुहों के द्वारा बनाए गए हस्तशिल्प उत्पादों की दर्शकों एवं ग्राहको के बीच काफी मांग है। हुनरबंद हाथों से बने रोजमर्रा की जिदंगी में काम आने वाले उत्पादों के बारे में महिला स्वंय सहायता समुह की संचालक श्रीमती सरला गुप्ता बताती है कि यह समुह बारह महिलाओं द्वारा संचालित किया जा रहा है। सर्वप्रथम यह समुह उन्होंने एक-दूसरे से मेल-जोल बढ़ाने के उद्देश्य से स्थापित किया था जिसमें कामकाजी महिला का प्रतिनिधित्व था फिर उन्होंने अन्य जरूरतमंद महिलाओं को जोड़कर यह समुह बनाया जो आज घरों में काम आने वाले कई तरह के उत्पादों का निर्माण कर रहा है। इनमें जूट से निर्मित सामान, हैण्डबैग, कुशन सेट, दीवान सेट, साड़ियां, सजावटी सामान, आदि के साथ-साथ महिलाओं के आभूषण प्रमुख रूप से बनाए जाते है। उन्होने बताया कि ‘ना लाभ ना हानि’ के संकल्प के साथ संचालित यह स्वंय सहायता समुह लगभग 90 प्रतिशत बिक्री के उत्पादों का उत्पादन स्वंय करता है तथा उत्पादों के दाम भी बाजार भाव से काफी कम रखे जाते है।
एक अन्य स्वंय सहायता समुह से जुड़ी श्रीमती संतोष बताती है कि इस समुह का मुख्य उद्देश्य महिलाओं के बीच आपसी तालमेल की भावना पैदा करने के साथ सदस्य महिलाओं के सहयोग से अन्य जरूरतमंद महिलाओं की सहायता करता है। इस समुह के उत्पादों में पेड़ के पत्तों पर पेंटिग्स बनाना, लाख की पेटिंग, ग्रीटिंग कार्ड आदि प्रमुख है जिनका विभिन्न माध्यमों से निर्यात भी किया जाता है।
इको-फ्रेडली एवं जुट उत्पादों की खास मांग
मंडप में इको-फ्रेडली उत्पादों को प्रशंसकों एवं ग्राहकों द्वारा काफी पसंद किया जा रहा है और उनकी अपनी खासियत एवं विश्वनीयता के लिए भरपूर सराहना की जा रही है।
पवेलियन में जूट उत्पादों की स्टॉल के संचालक बताते है कि हमारे सारे उत्पाद पर्यावरण की सुरक्षा के अनुरूप तैयार किए जाते है। इनमें मुख्य रूप से जूट के उत्पाद शामिल है। जूट से तैयार उत्पादों में कान्फ्रेस बैग, बोटल बैग, खरीददारी करने के लिए बैग एवं टिफिन बैग की खास रेंज उपलब्ध है। इन जुट के बैगों की कीमत 150 से 400 रूपये तक के बीच रखी गई है।
हल्के वजन एवं गर्माहट के लिये पसंद की जा रही हैं जयपुरी रजाईयॉं
35 वें अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार मेला के राजस्थान मंडप में जयपुरी रजाईयों कोे आगन्तुकों द्वारा काफी पसंद किया जा रहा है और उनके हल्के वजन, कोमलता एवं गर्माहट की खासियत के लिये भरपूर सराहना की जा रही है। मंडप में राजस्थानी रजाईयों की व्यापाक एवं भरपूर रेंज उपलब्ध हैं।
राजस्थान मंडप में जयपुरी रजाईयों के स्टॉल संचालक श्री अब्दुल ताहिर ने बताया कि जयपुरी रजाईयां बनाना बुनकरों का वंशानुगत व्यवसाय है और इसे वे पिछली कई पीढ़ीयों से करते आ रहे हैं।
श्री ताहिर ने बताया कि रजाईयों को बनाने के लिए बेहतरीन सामग्री का उपयोग किया जाता है, वजन में हल्की होने के बावजूद ये बहुत ही गर्म और आरामदायक होती है। इनको बनाने में उच्च श्रेणी की शुद्ध एवं गुणवत्तापूर्ण कपास का प्रयोग किया जाता है। साथ ही आधुनिक फैशनेबल एवं राजस्थानी डिजाइनों में इन्हें बनाया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि इस वर्ष स्टॉल पर रजाईयां 450 से 6000 तक की रेंज में उपलब्ध है। श्री ताहिर ने बताया कि राजस्थान की शुद्ध कपास से पारंपरिक सांगानेरी हैंड ब्लॉक प्रिंट में विश्व प्रसिद्ध जयपुरी डबल बेड की रजाईयां भी बनाई जा रही हैं जो कि दर्शकों द्वारा काफी पसंद की जाती हैं। जयपुरी रजाई अपने कम वजन, कोमलता और गर्मी के लिये विशेषरूप से जानी जाती हैं।
उन्होंने बताया कि इसके अलावा फाईवर और बनारसी जरी बॉर्डर पर सुंदर पुष्प डिजाईन और गहरे रंगों की रजाईयां भी बनाई जाती हैं। मंडप में जयपुरी सिल्क के बहुत ही गुणवत्ता के कॅवर भी उपलब्ध है जो कि दर्शकों को काफी पसंद आ रहे हैं।
लाख की चूड़ियाँ का आकर्षण
मंडप में लाख की चूड़ियॉं बनाने के जीवंत प्रदर्शन को देख ‘राजस्थान मंडप’ में आई महिलाएं काफी आकर्षित हो रही हैं। साढ़े पांच हजार साल पुरानी महाभारतकालीन मानी जाने वाली ‘लाख कला’ को जयपुर से लेकर आये हैं। इसी कला का प्रयोग कौरवों ने पांड़वों के विरूद्ध किया था और कौरवों द्वारा लाक्षाग्रह (लाख से बना) बनवाया था। लाख के हुनर के लिये हस्तशिल्पियों को राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है। मंडप में लाख के हुनर को परवाज देने वाली गुलरूख सुल्तान बताती है कि उनके बनाए लाख की आईटम्स विश्व के कई राष्ट्राध्यक्षों को उनके जयपुर आगमन पर इनके परिवार की ओर से लाख भेंट की गई। फिल्मी दुनियां में भी हमारे द्वारा निर्मित लाख की ज्वैलरी बहुत प्रसिद्ध थी और फिल्मी दुनिया के अनेक कलाकार हमसे लाख की चुड़ियों के अलावा लाख की ज्वैलरी जयपुर आकर बनवाते थे। हमारे लाख की चूड़ियों को विदेशों में भी निर्मित किया जाता है। इनमें ‘लाख के गुलाल घोटे’ काफी प्रसिद्ध है।
‘‘थेवा कला’’ के आभूषणों का जादू
व्यापार मेला में राजस्थान ‘थेवा-कला’ से बने आभूषण आकर्षण का प्रमुख केन्द्र बने हुए है। ‘थेवा कला’ शीशे पर सोने की बारीक मीनाकारी की इस अनूठी कला कहा जाता है। पीढ़ी दर पीढ़ी चलने वाली यह कला वंशानुगत रूप से आगे बढ़ी है। 17वीं शताब्दी में मेवाड़ के तत्कालीन राजघरानों के संरक्षण में पनपी यह इस बेजोड़ ‘कला’ है। इस अनूठी कला के लिए उन्हें कई अंतर्राष्ट्रीय, राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय पुरूस्कार भी मिल चुके हैं।
थेवा कला की शुरूआत 300 वर्ष पूर्व राजस्थान के प्रतापगढ़ जिले में हुई थी, जो कि मध्य प्रदेश की समा से सटा है। बताया जाता है कि 1707 में श्री नाथूलाल सोनवाल ने सबसे पहले इस शैली की शुरूआत की जो कि एक सुनार का कार्य करते थे। सन् 1765 में महाराजा सुमंत सिंह ने इस कला को प्रोत्साहन देने के लिये नाथूलाल सोनवाल के परिवार को एक जागीर देते हुए उन्हें राजसोनी की उपाधि प्रदान की। तभी से नाथू लाल के परिवार का इस तकनीक पर एकाधिकार हो गया। इस शिल्पकला से सोने पर नक्काशी कर भारत का दौरा करने वाले ब्रिटिश महिलाओं के लिए बेच दिया गया जिन्हें स्मृति चिन्ह के रूप में यूरोप के लिये ले जाया गया। मान्यता है कि 250 वर्ष पुराने कुछ टुकड़े अभी भी महारानी एलिजाबेथ के संग्रह में देखे जा सकते हैं।
दर्शकों में लोकप्रिय रही हैं सदाबहार राजस्थानी जूतियां और नमदें
राजस्थानी नमदें विशेषरूप से भेंड तथा ऊंट की ऊन से बनाये जाते हैं जो कि कॉरपेट एवं पैरदान के रूप में काम आते हैं। यह नमदें अपने सदाबहारी उपयोग के साथ ही टिकाऊ भी होते हैं और उचित मूल्यों के कारण दर्शकों में काफी लोकप्रिय है।
पैवेलियन में राजस्थानी जूतियों का प्रदर्शन कर रहे हस्तशिल्पयों का कहना है कि वे जूतियां मुख्यरूप से ऊंट की खाल से बनाते हैं। यह जूतियों हर मौसम में पसीना सोखने की खास विशेषता के कारण काफी आरामदायक एवं उपयोगी होती हैं।
दिल्लीवासियों के मन को भा रहा है शीशम का फर्नीचर
राजस्थान पेवेलियन में घर की रोजमर्रा की जरूरतों एवं सजावट हेतु शीशम से निर्मित राजस्थानी फर्नीचर की खूब बिक्री हो रही है। इस बार पेवेलियन में फर्नीचर की खरीद रेंज 4 हजार से लेकर 48 हजार तक उपलब्ध है। जोधपुर के शीशम की लकड़ी से बने इस फर्नीचर में सोफा सेट, ड्रेसिंब टेबल, वार्डरोव, राइटिंग टेबल, डाइनिंग टेबल उपलब्ध है। सभी तरह के आइटम्स पर राजस्थान की कला को पीतल के माध्यम से उकेरा गया है। पेवेलियन में स्टॉल के संचालक ने बताया कि हमारा शीशम निर्मित फर्नीचर विदेशों में भी निर्यात किया जाता है।
राजस्थानी लोकसंगीत की धूम
मण्डप में राजस्थानी संगीत की धूम मची हुई है। जयपुर के वीणा समूह द्वारा निर्मित ’’विवाह गीत राजस्थानी’’ राजस्थान के पारम्परिक एवं सर्वाधिक लोकप्रिय नृत्य घूमर पूरे देश-विदेश में लोकप्रिय है। फलस्वरूप इसे विश्व के सर्वोत्कृष्ट 10 स्थानों में से चौथा स्थान मिला है। वीणा कैसेट्स के ’’कलरफुल म्युजिक ऑफ राजस्थान’’ ’’अल्लाह जिलाई बाई’’ के गाये मांड गीतों का एलबम एवं सरस्वती देवी के मधुर स्वरों में ’’बन्नो प्यारो लागे सा’’ एवं ’’मांड’’ को लोगों ने काफी सराहा है। वीणा समुह ने इसे नृत्य सिखाने वाले विद्यालयों तथा महिलाओं एवं युवतियों के लिये यह सर्वोत्तम उपहार के रूप में प्रस्तुत किया गया है ताकि अधिक से अधिक लोग राजस्थानी संगीत पर प्रस्तुतियां देकर अपने माटी के संगीत से जुड़े रह सकें। साथ ही देशी विदेशी पर्यटकों के लिए राजस्थान की गौरवशाली संस्कृति कला के प्रतीक चुने हुए गीतों एवं नृत्यों की ऑडियो-वीडियो सीडी का सैट ’’कलरफुल म्युजिक ऑफ राजस्थान’’ आध्यात्मिक संगीत प्रेमियों के लिए वीणा के राम, कृष्ण व निर्गुण भजनों पर आधारित एलबम भी उपलब्ध है। इससे एक प्रान्त के लोगों को दूसरे प्रान्त के लोगों की संस्कृति, कला एवं संगीत को नजदीक से समझने व आदान-प्रदान करने के साथ ही उद्योगों को अपने उत्पादनों को देश के अन्य स्थानों पर लोगों तक पहुंचाने का सुनहरा अवसर मिलता है।
राजस्थान का संगीत सदाबहार है। राजस्थान के लोक संगीत में सबसे ज्यादा आकर्षण मांड गीत है। देशी-विदेशी पर्यटकों में राजस्थान की गोैरवशाली सांस्कृतिक कला के प्रतीक गीतों एवं नृत्यों की ऑडियों-वीडियांे लोकप्रिय है। पश्चिमी राजस्थान के लोक संगीत में लंगा मागणियारों की गायिकी, रावणहत्था, कमायचा, खडताल, बीन, अलगोजा आदि की लोकप्रिय धुनंे श्रौताओं को मंत्रा मुग्ध कर रहे है। लोक संगीत में लंगा मागणियारों की गायिकी, रावणहत्था, कमायचा, खडताल, बीन, अलगोजा आदि की लोकप्रिय धुनंे भी मनमोह रही है। ‘राजस्थानी विवाह गीत‘ का बेजोड़ संग्रह लोगों में आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है।
राजस्थान बिजनेस इंर्फोमेशन सेन्टर
मण्डप के ग्राउण्ड फ्लोर पर स्थापित किये गये ‘राजस्थान बिजनेस सेन्टर’ में उद्योग, रीको, बीप, आर.एफ.सी. आदि विभागों के प्रतिनिधियों ने प्रदेश के बारे में जानकारी लेने वाले देशी-विदेशी बिजनेस डेलीगेट्स के साथ यहां आने वाले अन्य उद्यमियों एवं प्रतिनिधियों की जिज्ञासाओं को पूरा कर रहे है।
मंडप का पृष्ठ भाग
मंडप के पृष्ठभाग में सजाए गए बाजार में राजस्थान के लजीज खाने पीने के सामान की भरमार है। यहां ब्यावर की मशहूर तिलपट्टी (तिल से बनने वाला महीन मीठा पापड़) के अलावा गजक, मूंगफली की गुड़ पट्टी, रोस्टेड चना, मूंगफली, भिन्न-भिन्न प्रकार के पापड़, अचार, मंगोड़ी, चूर्ण, चटनी, मुरब्बे आयुर्वेदिक चूर्ण एवं अन्य उत्पाद,मसाले, कोल्ड ड्रिंक्स, शर्बत, बीकानेरी नमकीन, सौंफ-सुपारी के साथ ही दुग्ध उत्पादों एवं राजस्थानी कुल्फी और अन्य उत्पाद यहां आने वाले दर्शकों के मूॅंह का जायका बढ़ा रहा हैं।
इसके अलावा राजस्थान की तिल पापड़ी, गजक, बीकानेर के मशहूर पापड़, नमकीन- भुजिया, डिब्बा बंद मिष्ठान, चूर्ण, मसाले, सूखी सब्जियां कैर सांगरी और राजस्थानी व्यंजनों आदि के साथ ही जयपुर डेयरी के दुग्ध उत्पादों की खूब बिक्री हो रही हैं।
सरकारी प्रतिभागी
मंडप में कई सरकारी एवं गैर सरकारी संस्थाओं ने अपनी प्रदर्शनियां लगाई हैं। सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग द्वारा प्रदेश में विभिन्न क्षेत्रों में हो रहे विकास कार्यो को फोटो गैलरी के रूप में बखूबी प्रदर्शित किया गया है। इसी प्रकार पर्यटन, राजस्थान स्टेट हैंडलूम डवलपमेंट कॉरपोरेशन, राजस्थान स्टेट इन्टुस्टीयल डवलमेंट एंड इनवेस्टमेंट कॉपरेशन (रीको), राजस्थान राज्य बुनकर संघ तथा महिलाओं द्वारा संचालित रूरल नानफार्म डेवलपमेंट (रूडा), निदेशालय महिला अधिकारिता के स्टॉल्स भी अपनी सक्रिय भागीदारी निभा रहे हैं।
मंडप के निदेशक श्री रवि अग्रवाल ने बताया कि राजस्थान मंडप में इस बार भी प्रदेश के विभिन्न अंचलों के सिद्ध हस्तशिल्पियों को विशेषरूप से आमंत्रित किया गया हैं।

राजस्थान की मिट्टी और यहां के वाशिंदों के रग-रग में कला के बहुरंगी रंग की खुशबू घुली मिली है और यही वजह है कि यहां के हुनरमंद कलाकारों और हर प्रकार के शिल्प में प्रदेश का दुनियॉं भर में कोई सानी नही है चाहे वह कला चावल के छोटे से दाने से लेकर देश-विदेश में बनाए गए विशालतम शिल्प और स्थापत्य कला के बेजोड़ कहे जाने वाले नमूनों में ही क्यों नही होवे। पत्थर, लकड़ी, पीतल, सोना, चांदी, लोहा, ताम्बा, घरों की दीवारों आदि से लेकर पेपर, चमड़ा, ऊंट की पीठ, हाथी की सूंड और चित्राकलाओं के केनवास तक राजस्थान के शिल्प का सौन्दर्य फैला हुआ है, जो कि जमीन, पानी से लेकर क्षितिज तक असीमित है।
........................
आलेखः- गोपेन्द्र नाथ भट्ट
अतिरिक्त निदेशक,
राजस्थान सूचना केन्द्र, नई दिल्ली
मोबाइल:- 9810547373

This Article/News is also avaliable in following categories : Rajasthan News
Your Comments ! Share Your Openion

You May Like