अपने पशुओं का करें बोटुलिज्म रोग से बचाव
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26 May 15
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जैसलमेर, जिला कलक्टर विश्वमोहन शर्मा के निर्देशानुसार जिले में गर्मी के मौसम में पशुओं में संभावित करों वाला रोग (बोटुलिज्म) से बचाव के लिए पशुपालन विभाग की ओर से जरूरी एहतियात बरतने की सलाह पशुपालकों को दी गई है।
पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ हरिसिंह बारहठ ने इस रोग के कारण, लक्षण एवं बचाव के उपायों की जानकारी देते हुए बताया कि इस रोग में पशुओं के अगले पैरों में अकडन आ जाती है तथा पशु चलने में लाचार हो जाते हैं। जमीन पर बैठ जाते हैं तथा जीभ बाहर निकाल देते हैं। मुंह से लार गिरनी शुरू हो जाती है तथा पशु चारा-पानी, खाना-पीना शुरू कर देते हैं तथा 2-3 दिन में पशु की मृत्यु हो जाती है। करो वाला रोग आहार में फॉस्फोरस तत्व की कमी से पाईका रोग होने से होता है। इसमें पशु फॉस्फोरस की पूर्ति के लिए मृत पशुओं की हड्डियां, पत्थर, पॉलीथिन व अन्य कचरा खाना शुरू कर देते हैं। गायों व भैंसों द्वारा मृत पशुओं की हड्डियां खाने से यह रोग फैलता है। मृत पशुओं की हड्डियों में लगे सडे हुए मांस में कलोस्टिडियम बोटुलाइनम नाम बैक्टीरिया टॉक्सिन पैदा करते हैं तथा हड्डियों में लगे मांस की एक से दो ग्राम मात्र ही स्वस्थ पशु की मौत के लिए काफी है।
उन्होंने बताया कि इस रोग से अच्छे दुधारू पशु व मां बनने जा रही गायें ज्यादा प्रभावित होती हैं क्योंकि दुग्ध उत्पादन के लिए व पेट में बछडे की हड्डियों के निर्माण के लिए ज्यादा फॉस्फोरस की जरूरत होती है। इस जरूरत की पूर्ति के लिए गायों में मृत पशुओं की हड्डियां आदि खाने की प्रवृत्ति बन जाती है। इस रोग के होने से पहले बचाव का कोई टीका उपलब्ध नहीं है तथा बीमार होने पर औषधि भी असर नहीं करती है।
इस रोग से बचाव के लिए पशुओं का आहार में फॉस्फोरस तत्व की मात्र देनी चाहिए। फॉस्फोरस की पूर्ति के लिए पशुओं को नियमित तौर पर मिनरल मिक्सचर पाउडर 25-25 ग्राम सुबह-शाम आहार में देना चाहिए। वर्ष में तीन बार पेट के कीडों की दवा पिलानी चाहिए। रोग से बचाव के लिए पशुओं को मृत पशुओं की हड्डियां खाने से रोकना चाहिए। मृत पशुओं को गांव से बाहर चारदीवारी या तारबंदी में डालना चाहिए।
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