"लकवा के इलाज में मातृभाषा सहायक
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26 Apr 15
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भोपाल, मुंह के लकवे की बीमारी मरीज की भाषा और बोली से सीधे तौर पर जुड़ी होती है। इस बीमारी से पीड़ित मरीज अपनी मातृभाषा में बोलने की कोशिश करे तो बेहतर परिणाम मिलेंगे। इस बीमारी से पीड़ित हिंदी भाषी मरीजों के इलाज में हिंदी के उच्चारण की कोशिश से कई मरीजों को लाभ मिला है। यह जानकारी महात्मा गांधी मेडिकल कॉलेज इंदौर के न्यूरोलाजिस्ट डॉ. अपूर्ण पाैराणिक ने शनिवार को अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय में आयोजित व्याख्यानमाला में दी। उन्होंने बताया कि हर भाषा की प्रकृति अलग-अलग होती है। इस पर दुनिया भर की भाषाओं पर रिसर्च किया गया है। लेकिन भारतीय भाषाओं में इस तरह के रिसर्च नहीं हुए हैं। हिंदी में इसकी शुरूआत अभी की गई है। डॉ. पौराणिक के अनुसार इस बीमारी से पीड़ित हिंदी बेल्ट के मरीजों के इलाज के लिए हिंदी भाषा में स्पीच थैरेपी पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। वे पिछले बीस साल से स्पीच थैरेपी पर काम कर रहे हैं। डॉ. पौराणिक ने बताया कि वे इस इस विषय पर हिंदी में किताबें भी लिख चुके हैं। किताबें जल्दी ही ऑनलाइन किया जाएगा। इस काम के लिए उन्होंने आईआईटी इंदौर के साथ चर्चा शुरू की है।
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