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“वैदिक साधन आश्रम तपोवन-देहरादून और इसकी मासिक पत्रिका पवमान प्रकाशित”

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21 Jul 18
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“वैदिक साधन आश्रम तपोवन-देहरादून और इसकी  मासिक पत्रिका पवमान प्रकाशित” वैदिक साधन आश्रम, तपोवन-देहरादून आर्यसमाज के सुप्रसिद्ध विद्वान एवं साधक महात्मा आनन्द स्वामी जी की प्रेरणा से अमृतसर के बावा गुरमुख सिंह जी द्वारा स्थापित ईश्वरोपासना, यज्ञ, स्वाध्याय आदि करने हेतु साधना का एक आदर्श केन्द्र है। आश्रम का 300 बीघा भूमि का अपना भूभाग है। सन् 1949 में इस आश्रम की स्थापना की गई थी। आश्रम में 100 से अधिक निवास कक्ष हैं। यह आश्रम दो स्थानों पर स्थित है। एक नीचे का स्थान सरकारी बस सेवा से जुड़ा है जो नगर से मात्र 6 किमी. पर है। आईएसबीटी से यह स्थान लगभग 11 किमी. है। यह स्थान ही मुख्य आश्रम है जहां कार्यालय, पाकशाला, सभा भवन, यज्ञशाला, चिकित्सालय एवं नर्सरी से कक्षा 8 तक का विद्यालय है जिसमें लगभग 400 बच्चे शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। दूसरा स्थान इस आश्रम से 3 किमी. की दूरी पर पहाड़ियों पर स्थित है जो गहन वन के बीच में है। नीचे के आश्रम से ही वन व पहाड़ियां आरम्भ हो जाती है। दूसरे आश्रम में भी एक विशाल भव्य यज्ञशाला है जिसका निर्माण लगभग दो वर्ष पूर्व ही हुआ हैं। यहां एक सभा भवन भी है जिसका उपयोग बड़े दो चार दिनों के आयोजनों में साधको के अल्पकालिक निवास हेतु भी किया जाता है। यहां वर्षों से प्रतिवर्ष चतुर्वेद पारायण यज्ञ होता है जो वर्तमान में स्वामी चित्तेश्वरानन्द सरस्वती जी द्वारा कराया जाता है। स्वामी जी एक अच्छे योगसाधक भी हैं और यज्ञों में उनकी गहरी निष्ठा है। वह यज्ञ के पक्ष में जम कर प्रचार करते हैं और उनके यज्ञ पर उपदेश सुनने योग्य होते हैं। अनेक अवसरों पर हमने उनके प्रवचनों को फेसबुक पर प्रस्तुत भी किया है। पहाड़ियों वाले आश्रम में कुछ कुटियायें बनी हुईं हैं जहां साधक आते जाते रहते हैं और स्वामी चित्तेश्वरानन्द जी भी यदा-कदा यहीं पर निवास करते हैं। यह आश्रम स्वामी चित्तेश्वरानन्द जी के कारण ही प्रसिद्ध हैं जहां उनके देश भर से शिष्य साधना आदि करने के लिए आते जाते रहते हैं। वर्ष में दो बार आश्रम के उत्सव होते हैं ग्रीष्मोत्सव व शरदुत्सव नाम से पुकारा जाता है। इन उत्सवों में बड़ी संख्या में ऋषिभक्त पधारते हैं। आश्रम के प्रधान दैनिक यज्ञ करने वाले व आर्यसंस्थाओं को मुक्त हस्त से दान देने वाले यशस्वी ऋषिभक्त श्री दर्शनकुमार अग्निहोत्री जी हैं। मंत्री पद को उत्तराखण्ड के विद्युत विभाग से सेवानिवृत उच्च पदस्थ इंजीनियर ऋषिभक्त यशस्वी श्री प्रेमप्रकाश शर्मा सुशोभित कर रहे हैं। आर्यजगत के प्रसिद्ध युवा विद्वान श्री आशीष दर्शनाचार्य जी भी इसी आश्रम में निवास करते हैं। आश्रम की व्यवस्था अच्छी है। साधना करने वाले बन्धुओं को यहां मंत्री जी को मोबाइल न. 09412051586 पर सम्पर्क करके आना चाहिये। आश्रम की अपनी एक गोशाला भी है जहां अच्छी नस्ल की दुधारू गौवें हैं। यह भी बता दें की आधुनिकता के कारण साधकों की संख्या निरन्तर कम होती जा रही है। अच्छे साधक तो उंगलियों पर ही गिने जा सकते हैं। आश्रम को भी इस कारण चिन्ता होती है।

आज का लेख हम आश्रम की मासिक पत्रिका ‘पवमान’ का परिचय देने के लिए प्रस्तुत कर रहे हैं। यह मासिक पत्रिका 30 वर्षों से प्रकाशित हो रही है। 4$32 पृष्ठों वाली इस पत्रिका के कवर पृष्ठ व पीछे का भाग रंगीन छापा जाता है। आधुनिक प्रेस तकनीक से इसका प्रकाशन होता है। पत्रिका के मुख्य सम्पादक डा. कृष्ण कान्त वैदिक हैं। अन्य सम्पादक आचार्य आशीष दर्शनाचार्य और मनमोहन कुमार आर्य हैं। पत्रिका देहरादून की अत्याधुनिक प्रेस ‘सरस्वती प्रेस’ में मुद्रित होती है। पत्रिका हर माह 20 तारीख से पूर्व मुद्रित हो जाती है और 20 तारीख को डाक से प्रेषित कर दी जाती है। अगस्त, 2018 का अंक आज 20 अगस्त, 2018 को भेजा जा चुका है। पत्रिका के मुख पृष्ठ पर प्रत्येक माह किसी विद्वान जिसकी जयन्ती आदि हो या फिर पत्रिका के अंक के मुख्य विषयक के अनुसार रंगीन चित्र प्रकाशित किया जाता है। पत्रिका के भीतर पृथम पृष्ठ पर पत्रिका का विवरण, कुछ जानकारियां वा विज्ञापन एवं लेखों की सूची दी जाती है। अगस्त का अंक देश की आजादी को केन्द्र में रखकर तैयार किया गया है। पत्रिका के सम्पादकीय का शीर्षक ‘स्वतंत्रता का महत्व’ है। इसके बाद वेदामृत के अन्तर्गत आचार्य अभयदेव विद्यालंकार की पुस्तक वैदिक विनय से ऋग्वेद के 8/96/7 मंत्र की व्याख्या दी गई है। पत्रिका का प्रथम लेख इसके सम्पादक महोदय द्वारा लिखा गया है जिसका शीर्षक है ‘भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महर्षि दयानन्द सरस्वती और आर्यसमाज की भूमिका’। दो पृष्ठों के इस लेख के बाद इन पंक्तियों के लेखक के दो लेख हैं। प्रथम लेख का विषय है ‘ऋषि दयानन्द के सत्यार्थप्रकाश आदि ग्रन्थों में देश को आजादी दिलाने की भावना व प्रेरणा विद्यमान है’। दूसरा लेख है ‘स्वामी दयानन्द और स्वामी श्रद्धानन्द न होते तो स्वामी रामदेव भी न होते’। दूसरा लेख पतंजलि योगपीठ के स्वामी रामदेव जी का प्रेरणादायक एवं प्रभावशाली प्रवचन है जो उन्होंने हरिद्वार में 6 से 8 जून, 2018 तक आयोजित गुरुकुल महासम्मेलन के अवसर पर दिया था। इसके बाद प्रकाशित लेखों के शीर्षक क्रमशः ‘हनुमान का बचपन’, ‘प्रफुल्ल चन्द्र चाकी’, ‘पं. श्यामजी कृष्ण वर्म्मा’, ‘जमींदार की दो लड़कियां’, ‘गुप्त रहस्य’, ‘प्रार्थना’, ‘ग्लोबल वार्मिंग के कारण’, ‘बच्चों के रोग-हकलाना-तुतलाना, कम हाईट, बिस्तर में पेशाब आदि का उपचार’ हैं। इसके बाद आश्रम के आगामी शरदुत्सव 3 अक्टूबर से 7 अक्टूबर, 2018 तक के पांच दिवसीय उत्सव का विस्तृत निमंत्रण पत्र दिया गया है। अन्तिम पृष्ठ पर दानियों की सूची दी गई है। कवर पृष्ठ 2, 3 व 4 पर विज्ञापन हैं। प्रथम मुख पृष्ठ का चित्र हम लेख में दे रहे हैं। यह भी बता दें की पवमान मासिक पत्रिका का वार्षिक शुल्क २०० रूपये है तथा १५ वर्षों का शुल्क २००० रूपये है.

हमें लगता है कि आश्रम अपने उद्देश्य के अनुरूप कार्य कर रहा है। दैनिक सत्संग सहित चतुर्वेद पारायण यज्ञ एवं आचार्य आशीष दर्शनाचार्य द्वारा समय समय पर युवक युवतियों के व्यक्तित्व विकास के शिविर लगते रहते हैं। प्रत्येक माह की 20 से 26 तक एक प्राकृतिक चिकित्सा शिविर डा. विनोद कुमार शर्मा, प्राकृतिक चिकित्सक के नेतृत्व में लगता है। शिविरार्थियों से पांच हजार रुपये शुल्क के रूप में लिए जाते हैं। आप इस शिविर से भी लाभ उठा सकते हैं। आश्रम द्वारा संचालित कक्षा 8 तक के विद्यालय एवं चिकित्सालय का परिचय हम एक अन्य लेख में देंगे। आप आश्रम के उत्सव में आना चाहें तो अवश्य आयें। अपने निवास की व्यवस्था के विषय में मंत्री जी से पहले बात कर लें जिससे किसी प्रकार की असुविधा न हो। हम आशा करते हैं कि आप आश्रम के कार्यों से सन्तुष्ट होंगे। आश्रम आपके आर्थिक सहयोग से ही कार्य करता है। अतः आप आश्रम की जो भी सहायता कर सकते हैं, अवश्य करें। आश्रम को दिया गया दान आयकर से मुक्त है। ओ३म् शम्।

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