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तीन बच्चों का हुआ सफल कॉकलियर इम्पलांट

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13 Jun 18
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तीन बच्चों का हुआ सफल कॉकलियर इम्पलांट कोटा (डॉ.प्रभात कुमार सिंघल) | के महराव् भीमसिंह चिकित्सालय में हाल ही में तीन बच्चों की रास्ट्रीय बाल स्वास्थ कार्यक्रम के अन्तर्गत सफल कॉकलियर इम्प्लांट की सर्जरी की गई। डॉ.त्रिपाठी ने बताया कि जन्मजात बहरे बच्चों के कान में कॉकलियों नर्व श्रतिग्रस्त होती है, ऐसे बच्चों को यदि 6 साल से कम उम्र में कॉकलियर इम्प्लांट लगाया जाता है तो उनके लिए बेहद कारागार होता है। क्योकि इसी उम्र में बच्चा बोलना सीखता है ऐसे में सुनने के साथ बोलना सीखने में आसानी होती है । इम्प्लांट की यूनिट 2 भाग में लगाई जाती है । इसमें एक भाग कान के पीछे की हड्डी मेस्टोइड बोन में छेद कर लगाया जाता है इसके इलेक्ट्रोड कॉकलियों नर्व से जोडे जाते है। हड्डी के ऊपर इसी भाग पर चुम्बक की तरह बाहर की यूनिट लगती है। इसलिए कॉकलियर इम्प्लांट को इलेक्ट्रोनिक डिवाइस सर्जरी भी कहते है। पिछले दिनों दो दिवसीय प्रवास कोटा आये चिकित्सा मंत्री काली चंद सर्राफ न एम्.बी.एस जा कर तीनों बच्चों के परिजनों से मिलकर बच्चों के हालचाल जाने और उन्हें कॉपोनेंट मशीन सौंपी।
शहर में में गरीब परिवारो के किषोरपुरा निवासी अजहर 5 वर्ष, आंवली रोजडी की तृषा 3 वर्ष, एवं घंटाघर निवासी आवेष 3 वर्ष जन्म से ही मूक बधीर थे। कॉकलियर इम्प्लांट जैसी मॅहगी सर्जरी करवाना इनके परिजनों के लिए संभव नही था। लेकिन आरबीएसके कार्यक्रम ने इन बच्चों की तकदीर बदल दी। आरबीएसके की मोबाइल हैल्थ टीमें जब इनके क्षेत्रों की आंगनबाड़ी केंद्रों पर स्क्रीनिंग करने के लिए पहंुची तो इनकी इस जन्मजात बीमारी का पता चला। टीम ने इन्हे हियरिंग इम्पेयरर्मेट में चिन्हित किया और आरबीएसके कार्ड बनाकर जिला अस्पताल रैफर किया। जिला स्तर पर डीईआईसी स्टाफ ने इनकी काउंसलिंग कर इलाज़ के लिए प्रेरित करते हुए एमबीएस अस्पताल कोटा में दिखाया। बच्चों के परिजनों की काउन्सिलिंग कर इन्हे मुख्यमंत्री सहायता कोष की मदद से एमबीएस चिकित्सालय में निःषुल्क सर्जरी करवाई।
बच्चों के उपचार में आरबीएसके अरबन की मोबाइल हैल्थ टीम-ए के डॉ अभिनव गौतम, डॉ अंजू शारदा व टीम-बी के डॉ मनीष नागर, डॉ आरती गुप्ता व फार्मासिस्ट योगेन्द्र का सहयोग रहा।
परिजनों को मिली बड़ी राहत -
आरबीएसके की बदौलत अपने बच्चों की निःषुल्क सर्जरी हो जाने से परिजनों को बड़ी राहत मिली है। बच्चों के माता-पिता का कहना था कि बच्चे के जन्म के बाद से ही उनकी आवाज़ सुनने को कान तरस गए। चिकित्सको से जांच करवाई तो पता चला कि उनका बच्चा मूक बधिर है तो पैरों तले जमीन खिसक गई। ऐसे में बच्चों की सर्जरी निःषुल्क हो जाने से परिवार में खुषी का ठिकाना नही हैं।
सीएमएचओ डॉ आर के लवानिया ने बताया कि सर्जरी के बाद एक साल तक बच्चों की स्पीच थैरप्पी भी होगी। अनुबंध पर स्पीच थैरेपिस्ट की सेवायें लेने के लिये भी टेंडर किये जा चुके है। इससे पहले जयपुर, जोधपुर व बीकानेर में ही कॉकलियर इम्प्लांट की सर्जरी होती है। कोटा में यह सुविधा शुरू होने से बच्चों की सर्जरी तो यहाँ होगी ही, साथ ही स्पीच थैरप्पी की सुविधा भी निःषुल्क होगी। यदि थैरेपी ठीक से नही होती है तो बच्चों में सर्जरी के अपेक्षित परिणाम नही मिल पाते है और बच्चा ठीक से बोलना नही सीख पाता।
आरसीएचओ डॉ एम के त्रिपाठी ने बताया कि मुख्यमंत्री सहायता कोष से 4 लाख रूपये की राषि तथा 47,000 रूपये स्पीच थैरेपी के लिए प्रदान की गई है। इन बच्चों को एक साल तक स्पीच थैरेपी दी जायेगी । कोटा सभांग में आरबीएसके के तहत सरकारी एमबीएस चिकित्सालय में कॉकलियर इम्प्लांट का पहली बार 3 बच्चों का सफल ऑपरेषन किया गया है। इससे पूर्व कोटा में यह सुविधा नही होने के चलते बच्चों को एसएमएस चिकित्सालय जयपुर जाना पडता था साथ ही लम्बी प्रतीक्षा सूची का भी सामना करना पडता था ।
आरबीएसके मैनेजर दिलीप कुमार ने बताया कि आरबीएसके में कार्यरत मोबाइल हैल्थ अरबन टीम-ए व बी ने बच्चों को चिन्हित कर एमबीएस अस्पताल रैफर किया था, जहा डीईआईसी स्टाफ सुषांत खीची (ऑडियोलोजिस्ट) द्वारा ईएनटी विभाग के एचओडी आर के जैन तथा प्रोजेक्ट को देख रहे ईएनटी विभाग के असिस्टेड प्रोफेसर डॉ दीपक सहारण के सहयोग से जयपुर से आये डॉ मोहनीष ग्रोबर द्वारा इन 3 बच्चों का सफल ऑपरेषन किया गया।
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