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सांसद निवास के बाहर महिलाएं देंगी धरना

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24 Mar 18
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कोटा। आकाशवाणी कोटा के कैजुअल एनाउंसर और कंपेयर का तीन दिवसीय धरने का समापन शुक्रवार को हो गया। इस दौरान केंद्र निदेशक द्वारा मांगों पर विचार नहीं किया गया। ऐसे में अब आंदोलन को तेज करने का निर्णय लिया गया है। शनिवार से आकाशवाणी केंद्र के बाहर क्रमिक अनशन किया जाएगा। सांसद ओम बिरला को भी कई बार समस्या बताई, लेकिन समाधान नहीं हुआ। अब शनिवार को दस महिलाएं सांसद ओम बिरला के घर के बाहर धरना देंगी। वहीं, सोमवार को आकाशवाणी केंद्र निदेशक दिनेश प्रकाश गोस्वामी के घर के बाहर भी धरना दिया जाएगा। पार्षद व आम आदमी पार्टी के नेता मोहम्मद हुसैन ने भी अनशन का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि अगर मांगेंं नहीं मानी तो सोमवार को वे भी आंदोलन में शामिल हो जाएंगे।
वहीं, श्रोता संघ से जुड़े लोगों ने अनशन का समर्थन करते हुए कहा कि अगर मांगें नहीं मानी जाती तो वे भी अनशन में शामिल होंगे। क्योंकि जब से इन लोगों को हटाया है तब से आकाशवाणी के कार्यक्रमों का स्तर गिरता जा रहा है।
इससे पहले सुबह 10:00 बजे सभी कर्मचारी धरने पर बैठे और नारेबाजी करने लगे. यूनियन के अध्यक्ष जुगल किशोर सचिव शशिकांत ने बताया कि स्थानीय आकाशवाणी केंद्र मनमानी पर उतर आया है. किसी भी कर्मचारी को बातचीत करने के लिए भी अंदर नहीं जाने दिया जा रहा है वहीं दूसरी ओर पुलिस से झूठी शिकायतें की जा रही है. धरने पर लगा हुआ माइक भी पुलिस से कहकर हटवा दिया है लेकिन इसके बाद भी हमारा मनोबल कम नहीं हुआ है, हम पूरी दमदारी के साथ इस मिशन में लगे हुए हैं. यूनियन के प्रवक्ता राजेंद्र रावल ने बताया कि अब हम स्थानीय आकाशवाणी केंद्र के खिलाफ हाईकोर्ट की अवमानना करने का मुकदमा दर्ज कराएंगे।
यूनियन के अध्यक्ष जुगल चौधरी , सचिव शशिकान्त सुमन व प्रवक्ता राजेंद्र रावल ने बताया कि हम आकाशवाणी प्रशाशन की नीतियों का विरोध करते हुए अपनी जायज़ मांगों को लेकर तीन दिन से धरने पर बैठे।,, 6-6-2017 (O.A.291/00359/2017) को कैट शाखा जयपुर द्वारा केंद्र पर “यथास्थति” बनाये रखने का आदेश किया गया। यह आदेश केस की अंतिम सुनवाई तक प्रभावी रहेगा। हम चाहते हैं कि केंद्र द्वरा इस आदेश की अनुपालना करते हुए पूर्व को भांति P-5 अनुबंध प्रयुक्त करते हुए कैट केस में शामिल सभी सदस्यों की यथावत ड्यूटी लगाई जाए। हमारी दूसरी माँग है कि जो कैज़ुअल कर्मचारी 5 से 25 वर्षों से अपनी सेवाएं आकशवाणी को देते आ रहे हैं, उनके हित में उचित निर्णय लेते हुए आकाशवाणी महानिदेशालय द्वारा नियमितीकरण हेतु नीति बनाई जाए। केंद्र के उच्च पदों पर पदस्थ आकशवाणी प्रशाशन के पदाधिकारी भ्रामक शब्दों का प्रयोग करते हुए महानिदेशालय और आम जन को गुमराह कर रहे हैं। स्वयं को डाकिये की भूमिका में शामिल करने वाले आकशवाणी केंद्र कोटा के पदाधिकारियों की कथनी और करनी में काफ़ी अंतर नज़र आ रहा है। एक ओर तो डाकिया बने बैठे अधिकारी यह कहते हैं कि, हमारे हाथ में कुछ नही ऊपर से जो आदेश आते हैं उनकी अनुपालना हम करते हैं दूसरी ओर बिना कोई आदेश दिखाये ये हमारी ड्यूटियां लगाना बंद कर देते हैं। यदि इनके पास आदेश भी है तो ड्यूटियां बंद करने से पहले सभी को लिखित में आदेश देना चाहिए था।
दिनांक 22 मार्च 2018 को यानि धरने के दूसरे दिन जब कैज़ुअल महिला कर्मचारियों ने केंद्र निदेशक को आकशवाणी केंद्र के बाहर रोक कर बात करनी चाही (चूँकि धरने पर बैठे किसी भी सदस्य को आकशवाणी में प्रवेश करने की अनुमति नहीं है) तो केंद्र निदेशक ने उन्ही महिलाओं पर अभद्र भाषा और मारपीट करने की कोशिश का आरोप लगा दिया जबकि केंद्र में सामने लगा हुआ कैमरा इसकी सत्यता का प्रमाण है।आकशवाणी केंद्र कोटा के सर्वोच्चय पद पर बैठे और स्वयं को डाकिया बताने वाले अधिकारी न केवल जनता को बल्कि उच्च अधिकारियों को भी शब्दो के मायाजाल से भ्रमित करने का प्रयास कर रहे हैं ।केंद्र निदेशक ने नकारात्मक रवैया अपनाते हुए केंद्र से प्रसारित कार्यक्रमों को तो क्षति पहुंचाई ही है साथ ही बर्षों से कार्यरत कैज़ुअल कर्मियों को भी मानसिक, शारीरिक और आर्थिक रूप से नुकसान पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी ।आकशवाणी की कैज़ुअल महिला कर्मियों ,ममता त्रिपाठी, जिज्ञासा गौतम,सरिता बोहरा ने बताया कि आज धरने का अंतिम दिन है लगातार हमें कई सामाजिक संगठनों ,धार्मिक संस्थाओं और भारत के विभिन्न आकशवाणी केंद्रों ,हाड़ौती के श्रोताओं और राष्ट्रीय यूनियन (Air,cacu)के पदाधिकारियों का समर्थन मिल रहा है। यूनियन पदाधिकारियों ने कहा कि अगर शनिवार सुबह तक सकारात्मक परिणाम नहीं आए तो क्रमिक अनशन शुरू करेंगे।
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