देवीसिंह बडगूजर,जोधपुर। सीमा सुरक्षा बल के इतिहास में संभवतः पहली बार भारतीय वायुसेना और सीमा सुरक्षा बल का संयुक्त महिला कैमल DUIUTIUON 2017 का आयोजन किया जाएगा। इसका उदेश्य ताकि समस्त बलों में महिला शक्ति प्रदर्शन सक्रिय हो सके। इस अनूठे आयोजन का आगाज 15 अगस्त 2017 को भारतीय वायुसेना- उत्तरलाई, बाडमेर (राजस्थान) से प्रदेश के राजस्व मंत्री अमरा राम चौधरी, ध्वज दिखाकर करेंगे। सीमा सुरक्षा बल के भरोसेमंद सूत्रों ने शुक्रवार को बताया कि इस कैमल EXPEDITION के आयोजन में सीमा सुरक्षा बल से तकरीबन 16 इच्छुक महिलाएं जिनमें अधिकारी, अधीनस्थ अधिकारी- 7 आर अन्य पद की 8 महिलाऍ शामिल होगें जबकि सीमा सुरक्षा बल की प्रथम महिला अधिकारी सहायक कमाण्डेन्ट तनुश्री पारिख, भी साथ होगीं। सूत्रों के अनुसार भारतीय वायुसेना की कुल 10 महिलाऍ अफसर भी इस आयोजन में भाग लेंगी। इस आयोजन को सफल बनाने के वास्त कैमल EXPEDITION में भाग लेने वाले सभी महिलाओं को आयोजन से पूर्व सहायक प्रशिक्षण केन्द्र, जोधपुर में प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। सूत्रों के अनुसार इस EXPEDITION •ा उद्देश्य सीमा सुरक्षा बल और भारतीय वायुसेना की छवि को युवा वर्ग और वे भारतीय महिलाएं जो कि देश के अनेक बलों में कार्यरत है,को भी साहसिक स्पर्धाओं में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करना है। ये EXPEDITION रण-कच्छ(गुजरात) की विषम परिस्थितियों को पार करती हुई रेगिस्तान के रेतीले धोरों से निकलकर पंजाब के अटारी, अमृतसर में सम*प्प होगी। सूत्रों का कहना है कि इस EXPEDITION का एक और उद्देश्य सीमावर्ती इलाकों पर रहने वाले लगों के दिलों में विशेषकर महिलाओं में शक्तिकरण, राष्ट्रीय एकता, सद्भावना एवं साहस की भावना पैदा करना है। इस आयोजन का उद्देश्य महिला सशक्तिकरण को बढावा देना भी है तथा भारत सरकार की ‘‘बेटी बचाओ‘‘ बेटी पढाओ‘‘ योजना को बढावा देना है। सूत्रों के अनुसार 26 ऊँटों पर सवार यह कैमल EXPEDITION दस्ता गुजरात सीमान्त के 443 किलो मीटर, राजस्थान सीमान्त के 609 किलो मीटर और पंजाब सीमान्त के 316 किलो मीटर दूरी तय करने के उपरान्त जेसीपी अटारी पहचगी। राजस्थान सीमान्त में भ्रमण के दौरान सीमावर्ती लोगों के मध्य भव्य स्वागत किया जायेगा, जिसके प्रत्यक्षदर्शी सीमा सुरक्षा बल के कार्मिक और आस-पास रहने वाले लोग होगें। ये दस्ता इस सीमान्त की सीमा चौकियों तथा जैसलमेर, बीकानेर, मुख्यालयों में भ्रमण करते हुए थार रेगिस्तान के विषम परिस्थितियों एवं संस्कृति से रू-ब-रू हगी।
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