सिरोही। महावीर जैन। आचार्य कलाप्रभसूरी महाराज ने सोमवार को पावापुरी गौषाला का अवलोकन कर वहाँ पर जन्म लेने वाली कामधेनु गाय को नवकार महामंत्र सुनाया। अपने साधु-साध्वी समुदाय के साथ सवेरे उन्होने गौषाला में पषुओ के रखरखाव, चारे पानी एवं उनकी चिकित्सा व्यवस्थाओ के बारे मे जानकारी ली तथा पषुओ को गोग्रास पौश्टिक लडडु खिलाये व बिन माँ के ५ से १० दिन के बछडो को बोतल से दुध पिलाने की व्यवस्था की अनुमोदना की। आचार्य श्री ने कहा कि जैनषासन में भगवान महावीर स्वामी के ’’जीयो ओर जीने दो‘‘ व ’’अहिंसा परमो धर्म‘‘ के सिद्वांत की पालना करते हुए के पी संघवी परिवार एक ऐसी गौषाला प्रदेष मे चला रहे हैं जिसकी व्यवस्थाओ से आने वाला हर श्रद्वालु प्रसन्नचित होकर जाता हैं। उन्होने कहा कि प्रतिदिन ३ लाख रूपये खर्च कर ६००० से अधिक अबोल प्राणियो की सेवा करने की जितनी अनुमोदना की जावे वो कम हैं। गौषाला मे पषुओ को प्रभु दर्षन, पानी छानकर पिलाने एवं चौविहार की व्यवस्था करके संघवी परिवार ने गौ सेवा की एक विषिश्ठ उपलब्धि प्राप्त कर राजस्थान को गौरान्वित किया है।
पावापुरी ट्रस्ट के ट्रस्टी महावीर जैन एवं गौषाला प्रबंधक प्रकाष रावल ने गौषाला भ्रमण के दौरान गौषाला की सम्पूर्ण व्यवस्थाओ के बारे मे जानकारी देते हुए बताया कि आने वाले श्रद्वालु सहभागिता के साथ साथ अपने हाथो से गुड, लड्डु व चारा खिलाकर गद गद होते है।
आचार्य श्री ने पक्षी घर, चारा गोदाम, चराई स्थल, पेयजल व्यवस्था एवं पषुओ के इलाज व दवाईयो की उपलब्धता का भी अवलोकन किया। आचार्य श्री ने संघवी परिवार को उनकी उदारता एवं सफल संचालन के लिए आषीर्वाद देते हुए कहा कि सफलता का मूल मंत्र जीवदया के प्रति संघवी परिवार का लगाव व समर्पण हैं।
आचार्य श्री एवं साधु साध्वी भगवंतो ने १७ वर्श पूर्व तीर्थ की प्रतिश्ठा के एलबम का अवलोकन कर अपनी यादगारो को ताजा किया।
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