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चलता फिरता छतरीवाला खिचिया हट

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24 May 16
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चलता फिरता छतरीवाला खिचिया हट जोधपुर (देवीसिंह बडगूजर )। जोधपुर में दो चीजे महशहूर है। एक खण्डों और दूजो खाऊंडखण्डो। खण्डों बोले तो छितर के पत्थर। जोधपुर महानगर में छितर के पत्थरों से ही घर और व्यवसायिक केन्द्रों का निर्माण होता है। ज्यो -ज्यो इन पानी गिरे त्यो-त्यो इनमें निखार आता है। इसी प्रकार जोधपुर के वाशिंदे खाने के मामले में भी सबसे अग्रणी रहते है। मिष्ठान हो या नमकीन जोधपुरी लजीज व्यंजन का नाम आते ही मुंह में पानी आ जाता है। मुंह खाने को लपलपाने लगता है। दूसरे शब्दों में जोधपुरी व्यंजन को चटकारे के साथ चटकना जोधपुरी लोगों की खास पहचान है।
गुलाब जामुन,मावे की कचौरी,चूटिया चक्की,रबडी और तो राजभोग एवं रसमलाई। नमकीन में गर्मागर्म मिर्ची बडे,मोगर-प्याज की कचौरी और मिक्चर नमकीन को भी खानों वालों की कमी नहीं है। दूर ढूढेंगे तो पास मिलेगे और एक ढूंढेंगे तो हजारों मिलेगे। इतना ही नही व्यवसाई भी मिठाई और नमकीन में नित नए आइटम बनाने का प्रयत्न करते है। और वे खूब बिकते भी है।
अब तो जोधपुर महानगर की प्रमुख सडकों और गली -कूचों में साइकिल और मोटर साइकिल पर भी नमकीन और मिष्टान बेचने वालों की आवाजे सुनाई देना दिनचर्या में शामिल हो गया है।
नई रैपेसी पिज्जा एवं अन्य आयातीत लजीज व्यंजन के चलते महानगर में इन दिनों चलता फिरता छतरीवाला खििचया हट चर्चा का विषय बन गया है। मोटरसाइकिल पर स्थापित खिचिया हट जहां भी रूकता है,वहां देसी रेसेपी खरीदने वालों का हूजुम उमड पडता है। मालूम हो कि खिचिया,पापड और सलेवडा देसी व्यंजन है। खिचिया को नई रेसेपी के साथ महानगर की प्रमुख सडकों पर बेचने वाले चलते फिरते छतरीवाला खिचिया हट के सेफ संजय सोनी बताते है कि उन्हें एक टीवी सिरियल को देख कर मन में आया कि देसी खिचिया को नई रेसेपी के साथ महानगर वासियों को पुरसना चाहिए। बस,जोधपुर में एक खिचिया बनाने वाली लघु इकाई से सम्फ कर खास साइज में खििचया बनाने का आर्डर दिया और विभिन्न मसालों और विशेष चटनी की सहायता से महानगर वासियों के सामने इसे पेश किया। फिर क्या! जहां भी चलता फिरता छतरीवाला हट रूकता है,वहां देसी रेसेपी खरीदने वालों की लाइन लग जाती है। सोनी ने बताया कि मैदा,आटा,सूजी और चावल के आटे से तैयार खिचिया को पोदिना-लसन की चटनी, उस पर पत्ता गोभी,प्याज,हरी मिर्च का सलाद एवं बरीक नमकीन और भलेपुरी सेव अन्य कच्ची हरी सब्जियों के मिश्रण के साथ बीस रूपए प्रति खििचया सर्व किया जाता है। लकडी के कोयले पर सिकने वाले देसी खिचियों में मसाला खिचिया,चीज खिचिया को देसी पिज्जा कहे तो कोई अतिश्योक् नही होगी। संजय सोनी रोज सांय 6 बजे माणक चौक से रवाना होकर महानगर की प्रमुख सडकों पर छतरीवाला खिचिया हट लगाकर तकरीबन अभी सौ-सवा सौ खििचया की बिक्री कर रहे है। बरसात के मौसम में भेल कचौरी,पनीर समोसा,मैथी थेपला विथ चीज बनाकर खिलाना सोनी का इरादा है।

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