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’पूत एक ही सपूत’ जैसी जैसलमेर में बारिश से लबालब हुआ गडीसर तालाब

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29 Aug 16
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स्वर्णनगरी में आखिरकार इन्द्रदेव मेहरबान हुए। शनिवार देर रात दो घंटे की तेज बारिश से शहर का विश्वविख्यात गडीसर सरोवर लबालब हो गया । पानी की आवक अब भी जारी है । इस मानसून की पहली अच्छी बारिश से भरे विश्वविख्यात गडीसर सरोवर को देखने शहर की जनता और पर्यटक सोमवार सुबह से देखने को लालायित हुए । तालाब की रौनक लौट आई है जो कि पिछले मार्च से गायब थी । बारिश से भरे गडीसर सरोवर को निखारने आई पब्लिक अचंभित हो उठी कि, कल तो यह खाली-खाली से था और आज लबालब भरा हुआ गडीसर मन को रोमांचित कर रहा है । वहीं पंडित उमाशंकर व्यास ने एक मूल्यवान बात कह डाली कि, ’पूत एक ही सपूत’ जैसी बारिश हुई है हमारे शहर में । एक ही बारिस से विश्वविख्यात गडीसर सरोवर भर जाना इसी बात की पुष्टि करता है ।
विगत श्रावण मास को बूंदाबादी और वर्तमान में भादवा की उमस और बादलों की आवाजाही से मानसून सकि्रय था । कुछ गांवों अच्छी बारिश हुई लेकिन स्वर्णनगरी सहित कई गांव औसत बारिश को तरसने लगे लेकिन आखिरकार पूरे जिले में अच्छी बारिश होने की जानकारी मिली है । शनिवार देर रात दो घंटे की तेज बारिश से स्वर्णनगरी भी तरबतर हो गई । सडकों पर पानी घुटनों तक चलने लगा । बारिश का यह दौर रविवार सुबह ५ बजे तक जारी रहा, हालांकि रफतार कम हो गई थी फिर भी, जैसी बारिश का इंतजार था वैसी हो गई । शनिवार सुबह से ही आसमान में बादल छाए रहे और उमस बरकरार रही । शाम को एकबारगी मौसम साफ हो गया लेकिन फिर रात को करीब १० बजे बिजली चमकने के साथ बादलों की आवक शुरू हुई और अन्ततः देर रात १ बजे तेज बारिश शुरू हुई
गडीसर पर चली चादर
स्वर्णनगरी सहित जिले के ग्रामीण क्षेत्रो में शनिवार को जोरदार बारिश हुई। बारिश से विशिवख्यात गडीसर तालाब में पानी की आवक होने से पानी की चादर चल गई। विशिवख्यात गडीसर तालाब में पानी की आवक देखने के लिए लोगों की भीड लगी रही। शनिवार को देर रात १ बजे से रविवार सुबह ५ बजे तक बारिश का दौर रहा। जोरदार बारिश से गलियो में पानी भर गया।
किसानों के चेहरों पर रौनक लौटी
पिछली बारिश में खेतों में मेहनत और पैसा लगाए किसान मुरझाई फसलों से चिन्तित होने लगे थे । उनको अभी और बारिश की आवश्यकता थी । हालांकि बारिश के लिए बना अनुकूल वातावरण उम्मीद की किरण अवश्य दिखा रहा था लेकिन पर्याप्त बारिश के अभाव में मुरझाती फसलों से चिन्ता की लकीरें किसानों के चेहरों पर अवश्य पढी जा सकती थी । लेकिन अनतः उनकी मेहनत को इन्द्र देवता ने माना और मेहरबान हुए । शनिवार को हुई बारिश से किसानों के चहेरे खिल उठे हैं । किसानों को उम्मीद है कि अब फसलों से बेहतर उपज मिल सकेगी ।

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