जयपुरः म्यानमार (पूर्व बर्मा) के प्रमुख शहर यांगन में बुधवार के भारत सरकार के सहयोग से जयपुर फुट कृत्रिम अंग का एक माह का शिविर आरम्भ हुआ । इस शिविर में ५०० म्यानमारी विकलांगों को जयपुर फुट लगाकर चलने फिरने योग्य बनाया जाएगा । यह इस तरह का यांगआन में दूसरा शिविर हैं । पली शिविर गत वर्ष यांगान में ही लगा था जिसके ४५४ लोगों को जयपुर फुट लगाया गया था ।
भारत के विदेश मंत्रालय और जयपुर फुट की निर्माता संस्था भगवान महावीर विकलांग सहायता समिति (बी.एम.वी.एस.एस.) के संयुक्त तत्वावधान में राजधानी यांगन स्थित बौद्व मठ के प्रमुख सन्त त्रिपिताका काविदा धमाभण्डा गारिकी की उपस्थिति में पिताकात यॉनबॉन निकाई मठ, साउथ डैगन में जयपुर फुट शिविर का उद्घाटन समारोह सम्पन्न हुआ । समारोह विशिष्ठ अतिथि यॉगन क्षेत्र के योजना और वित्त मंत्री यू. मिन्त थांग, भारत के म्यानमार स्थित राजदूत विक्रम मिसरी बी.एम.वी.एस.एस. के संस्थापक और मुख्य संरक्षक डी.आर. मेहता तथा बी.एम.वी.एस.एस. के मानद अन्तर्राष्ट्रीय निदेशक तथा भारत के कुवैत में पूर्व राजदूत एम्बैसेडर सतीश मेहता तथा यांगन क्षेत्र के गणमान्य नागरिक उपस्थित थे ।
यू.नू. फाउण्डेशन की प्रमुख तथा तत्कालीन बर्मा के १९४८ से १९६२ तक प्रधानमंत्री रहे स्वर्गीय यू.नू. की पुत्री थान थान नू जो भारत में लम्बे समय तक रही हैं के प्रयासों से गत वर्ष जयपुर फुट शिविर यांगन में लगा था । वह समारोह में विशिष्ठ अतिथि थी ।
उल्लेखनीय है कि भारत सरकार और बी.एम.वी.एस.एस. के संयुक्त तत्वावधान में इस समय म्यानमार के अलावा वियेतनाम में भी शिविर चल रहा हैं ।
उद्घाटन समारोह में अतिथियों के समक्ष जयपुर फुट के चार लाभार्थियों ने चलकर दिखाया ।
इस अवसर पर मठ के प्रमुख सन्त ने कहा कि जयपुर फुट के कारण दिव्यांगों में नई आशा का संचार हुआ हैं और इस प्रकार के शिविर लगाकर दिव्यांगों के कल्याण का कार्य शुरू हुआ हैं ।
राजदूत विक्रम मिसरी ने कहा कि भारत सरकार तथा बी.एम.वी.एस.एस. के सहयोग से विदेशों में ५००० द्विव्यांगों के चलने फिरने का कल्याणकारी कार्यक्रम काफी पसन्द किया जा रहा हैं ।
बी.एम.वी.एस.एस. के प्रमुख डी.आर. मेहता ने कहा कि जयपुर फुट मानव सेवा के कार्य में जुटा हैं और संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी जयपुर फुट की उपयोगिता को सराहा हैं । उन्होंने कहा कि वियेतनाम की तरह म्यानमार के शिविर में भी ५०० दिव्यांगों को लाभान्वित किया जा रहा हैं ।
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