अब्दुल करीम को मिला सही मुकाम
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11 Oct 17
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लंदन। जानीमानी लेखिका श्राबणी बसु ने कहा है कि ब्रिटेन के शाही दरबार में मुंशी के पद पर काम करने वाले भारतीय अब्दुल करीम को इतिहास में आखिरकार उनका सही मुकाम मिल गया है। उन्होंने 19वीं सदी में महारानी विक्टोरिया के मुंशी के तौर पर काम किया था।श्राबणी बसु की पुस्तक ‘‘विक्टोरिया एंड अब्दुल : द एक्सट्राऑर्डिनरी ट्रू स्टोरी ऑफ द क्वीन्स क्लोजेस्ट कान्फिडैंट’ में विक्टोरिया और अब्दुल से संबंध पर प्रकाश डाला गया है।
हाल ही में विक्टोरिया एंड अब्दुल नामक फिल्म बनी जो ब्रिटेन में बॉक्स ऑफिस पर काफी सफल हुई है। श्राबणी ने कहा, लेसेस्टर स्कवायर पर लगी अब्दुल की तस्वीर को देखना सुखद रहा। यह वही शख्स था जिसे ब्रिटिश व्यवस्था इतिहास से हटाना चाहती है, लेकिन अब वह सबसे सामने है और सिनेमा घरों में उसकी कहानी को देखने एवं सुनने के लिए भारी भीड़ पहुंच रही है। यह बहुत संतोषजनक है। लेखिका ने अपनी पुस्तक में विक्टोरिया और अब्दुल की खास तरह की दोस्ती के बारे में बताया है। अब्दुल आगरा की जेल में सहायक क्लर्क थे और उन्हें वहां से लंदन भेजा गया था। श्राबणी ने कहा, अब्दुल ही शाही रसोई तक करी लेकर आए। विक्टोरिया की सरपरस्ती से करी प्रचलित हो गई। आज यह ब्रिटिश पकवानों का जरूरी हिस्सा बन चुकी है तथा करोड़ों पाउंड के उद्योग के रूप ले चुकी है।
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