ममता वाम मोर्चा से ज्यादा कठोर : तस्लीमा
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23 Jan 17
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वाशिंगटन। निर्वासित बांग्लादेशी लेखिका तस्लीमा नसरीन का कहना है कि वर्ष 2011 में ममता बनर्जी के मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्हें पश्चिम बंगाल में अपनी वापसी के लिए स्थिति सुधरने की उम्मीद थी। लेकिन उन्हें लगता है कि बनर्जी इस मामले में वाम मोर्चा की सरकार से ज्यादा ‘‘कठोर’ हैं।तस्लीमा ने बताया, मुझे उम्मीद थी कि ममता बनर्जी के सत्ता में आने के बाद पश्चिम बंगाल की स्थिति सुधरेगी। लेकिन मैं गलत थी। लेखिका ने कहा कि वह ‘‘वोटबैंक की राजनीति की शिकार’ हैं और राजनीतिज्ञ चाहे किसी भी दल के हों, उनके बारे में सबका यही नजरिया है। उन्होंने कहा, अगर मेरी बात हो तो सभी राजनीतिज्ञों का नजरिया समान ही है। मेरे विचार से, इसका कारण उनकी यह सोच है कि यदि वह मुस्लिम कट्टरपंथियों को संतुष्ट कर सकते हैं, तो उन्हें ज्यादा मत मिलेंगे। मेरा मानना है कि मैं वोटबैंक की राजनीति की शिकार हूं। इससे यह भी पता चलता है कि लोकतंत्र कितना कमजोर है और राजनीतिज्ञ एक लेखक को प्रतिबंधित करके वोट जुटाते हैं। तस्लीमा ने कहा कि पश्चिम बंगाल में यही हो रहा है। उन्होंने कहा कि राज्य में उनकी वापसी के बारे में राज्य सरकार का विरोध एक ‘‘खतरनाक विरोध’ है।
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