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मांसाहार के नाम पर खिलाई जा रही हैं एंटीबायटिक दवाएं

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20 Nov 17
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ये कंपनियां मुर्गा,मछली तथा अन्य जीव -जंतुओं को बीमारियों से बचाने के लिए उन्हें जमकर एंटी बायटिक दवाएं खिलाती हैं
कुछ बहुराष्ट्रीय कंपनियां फास्ट फूड के नाम पर देश में ऐसे मांसाहारी व्यंजन परोस रही हैं जिनसे लोगों में एंटी बायटिक दवाओं का असर न होने का खतरा पैदा हो गया है।पर्यावरण के क्षेत्र में काम कर रही संस्था सेंटर फार साइंस एंड एनवायरनमेंट(सीएसई) ने‘‘ विश्व एंटी बायटिक जागरूकता सप्ताह’ के मौके पर जारी एक रिपोर्ट में बताया कि ये कंपनियां मुर्गा ,मछली तथा अन्य जीव -जंतुओं को बीमारियों से बचाने के लिए उन्हें जमकर एंटी बायटिक दवाएं खिलाती हैं, जिससे इन दवाओं के अवशेष इनके मांस में रह जाते हैं। इसके साथ ही उनमें ऐसे बैक्टीरिया भी पनप जाते हैं जो इन दवाओं का असर समाप्त कर देते हैं। इससे इनके मांस से बने व्यंजन खाने वाले लोगों में एंटी बायटिक दवा का असर न होने का खतरा पैदा हो गया है।अमेरिका, जापान, कनाडा, यूरोप, आस्ट्रेलिया,रूस और दक्षिण कोरिया जैसे देशों में नियामक संस्थाओं के कड़ा रुख अपनाने पर इन कंपनियों ने एंटी बायटिक मांस वाले व्यंजन परोसना बंद करने की समय सीमा तय कर दी है,लेकिन भारत के साथ वे अलग मापदंड अपना रहीं हैं। ये कंपनियां विकसित देशों में इन दवाओं का इस्तेमाल बंद करने के लिए 2016 से 2020 तक की समय सीमा घोषित कर चुकी हैं। सीएसई ने भारत में अपनी दुकानों की श्रृंखला चला रही 11 विदेशी तथा तीन भारतीय कंपनियों से एंटी बायटिक का दुरुपयोग बंद करने के बारे में सवाल पूछा था। इनमें से मैकडोनाल्ड, पिज्जा हट, केएफसी, टैको बेल, स्टार बक्स और वेंडी ने तो कोई जवाब ही नहीं दिया लेकिन सब वे,डोमिनोज पिज्जा और डंकिन डोनट्स ने अपने परीक्षण की रिपोर्ट तो साझा की , हालांकि इन दवाओं का इस्तेमाल बंद करने की समय सीमा को लेकर कोई आश्वासन नहीं दिया। बाद में डोमिनोज पिज्जा और डंकिन डोन्ट्स की प्रबंधक कंपनी जुबिलिऐंट फुडवर्क ने शुक्रवार को कहा कि वह भारत में 2019 तक इनका इस्तेमाल बंद कर देगी। सीएसई ने इन कंपनियों से भारतीय उपभोक्ताओं के प्रति अपनी जिम्मेदारी समझते हुए इनका तत्काल दुरुपयोग बंद करने को कहा तथा सरकार से इसे रोकने के लिए कड़ा कानून बनाने की मांग की। उसने भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण से मांसाहारी खाद्य पदार्थों की नियमित जांच करने तथा इनकी लेबलिंग अनिवार्य करने को कहा है।
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