कैंसर का बोझ कम करने के लिए जागरुकता जरूरी
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05 Feb 18
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तंबाकू सेवन, धूम्रपान, खराब खानपान और शारीरिक निष्क्रियता समेत जीवनशैली में बढ़ती विसंगतियों के कारण देश में कैंसर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि समय पर यदि रोग की पहचान कर इलाज हो जाए तो इस खतरनाक बीमारी के बोझ को कम किया जा सकता है।भारत में कैंसर के अधिकतर मामले डॉक्टरों के सामने तब आते हैं जब वे तीसरी या चौथी स्टेज में पहुंच चुके होते हैं। चार फरवरी को विश्व कैंसर दिवस के मौके पर चिकित्सकों ने कहा कि समय समय पर स्क्रींिनंग नहीं होने और जल्दी रोग की पहचान न होने से जुड़ी चुनौतियों की वजह से देश में केवल 12.5 प्रतिशत रोगी प्रारंभिक स्तर पर इलाज के लिए आ पाते हैं। इस चुनौती को दूर करने के लिए जागरुकता और सक्रियता जरूरी है। कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ सुरेंद्र डबास के अनुसार देश में तंबाकू के सेवन के कारण सिर, गले और फेफड़े के कैंसर के मामले बड़ी संख्या में सामने आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि तंबाकू, सिगरेट, पान गुटखा, पान मसाला और सुपारी के टुकड़ों के साथ खुला तंबाकू भारत में कैंसर का प्रमुख कारण है। फोर्टिस अस्पताल, शालीमार बाग के डॉ डबास ने कहा कि तंबाकू के सेवन में कमी और रोग की जल्द पहचान से इस भयावह बीमारी के बोझ को कम किया जा सकता है। पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ विकास मौर्य ने बताया कि लंग कैंसर की बात करें तो 80 से 90 प्रतिशत खतरा अकेले तंबाकू सेवन से होता है। उन्होंने कहा कि भारत में 80 प्रतिशत लंग कैंसर के रोगियों को बीमारी का पता बाद के स्तर पर चलता है और तब तक इलाज करना मुश्किल हो जाता है। अगर लोग जागरुक रहें तो समय पर रोग का पता लगाकर इलाज संभव है। रेडियेशन ओंकोलॉजी की सीनियर कंसल्टेंट डॉ सपना नांगिया के अनुसार महिलाओं के मामले में स्तन कैंसर और गर्भाशय कैंसर बड़े खतरे के तौर पर उभरे हैं। रोग की जल्द पहचान से सफल इलाज की संभावना बढ़ जाती है।
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