अंगों को यदि दान कर दिया जाए तो....
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22 Oct 17
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दिल्ली में रोजाना होने वाले हादसों में से चार से पांच लोग ऐसे होते हैं जो ब्रेनडेड होने के बाद दम तोड़ देते हैं। ऐसे लोगों के अंगों को यदि दान कर दिया जाए तो कई लोगों को नई जिंदगी मिल सकती है। बावजूद हर दिन आकस्मिक होने वाली इन दुर्घटनाग्रस्तों के जीवित अंगों का प्रयोग दूसरे व्यक्तियों में नहीं हो पा रहा है। इस कमी को दूर करने और स्वैच्छिक अंगदान को बढ़ावा देने के तहत अब स्वास्य मंत्रालय अंगदान के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए अब धार्मिंक और आध्यात्मिक गुरु ओं की मदद लेने की योजना बना रहा है। इनमें आर्ट ऑफ लिविंग के श्रीश्री रविशंकर से लेकर योग गुरु स्वामी रामदेव का नाम भी शामिल है। बताया जाता है कि स्वास्य मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने इस बारे में आध्यात्मिक गुरु ओं के साथ दो चरणों की बैठक की है। अंग दान इथिकल कमेटी के वरिष्ठ सलाहकार एवं सफदरजंग अस्पताल में गुर्दा प्रत्यारोपण यूनिट के अध्यक्ष डा. अनुप कुमार ने कहा कि अंगदान को महादान की श्रेणी में रखा जाता है, लेकिन इसके बाद भी लोग इसके प्रति जागरूक नहीं है। जिसकी वजह से आज भी देश में हजारों मरीज अंगों के आभाव में दम तोड़ देते हैं। इसी जागरूकता को बढ़ाने के लिए सभी धर्मो के धर्मगुरु आगे आ रहे हैं। इसके तहत नेशनल आर्गन एंड टिश्यू ट्रांसप्लांट आर्गनाइजेशन (नोटो), दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन और यूरोलॉजी सोसायटी ऑफ इंडिया के नार्थ जोन की तरफ से एक कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। मंत्रालय अंगदान को प्रोत्साहित करने के लिए दूसरे धर्मों के नेताओं को भी शामिल करने की कोशिश कर रहा है। धार्मिंक और आध्यात्मिक नेताओं का जनता के एक बड़े हिस्से पर अच्छा खासा प्रभाव है। अभियान में इनको शामिल करके एक बड़े जनसमुदाय के बीच जागरूकता जगाई जा सकती है। डा. अनुप कुमार ने बताया कि लोगों को अंगदान के प्रति जागरूक करने के लिए बाबा रामदेव, परमार्थ निकेतन के प्रमुख, अजमेर शरिफ के प्रमुख, गुरु द्वारा रकाबगंज के प्रमुख ज्ञानी को बुलाया जा रहा है। पिछले वर्ष कुल 807 लोगों ने अंगदान किया था, जो इस वर्ष अभी तक 496 ही हो सका है।
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