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गुर्दे की बीमारियों पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन

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08 Oct 17
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गुर्दे की बीमारियों में देश में करीब 16 फीसद की बढ़ोतरी हो रही है लेकिन हमारा जोर सिर्फ उपचार पर है, बचाव पर नहीं जीवनशैली में बदलाव करके रोगों से बचा जा सकता है, गुर्दा रोगियों के बेहतर पोषण से उनकी मृत्यु दर कम की जा सकती है
सोसायटी ऑफ रेनेल न्यूट्रीशियन एंड मेटाबॉलिज्म (एसआरएनएमसी) ने गुर्दे की बीमारियों के इलाज के साथ मरीजों के पोषण पर भी विशेष ध्यान दिए जाने पर जोर दिया है।
शनिवार से शुरू हुए सोसायटी के राष्ट्रीय सम्मेलन में गुर्दे की बीमारियों से बचाव के उपायों पर भी र्चचा हुई। इस सम्मेलन में पहली बार देश में आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति से निर्मिंत दवा नीरी केएफटी पर भी र्चचा हुई जो गुर्दे को फेल होने से बचाती है। इस सम्मेलन में पांडिचेरी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के प्रोफेसर जार्ज अब्राह्म ने कहा कि गुर्दे की बीमारियों में देश में करीब 16 फीसद की बढ़ोतरी हो रही है। लेकिन हमारा जोर सिर्फ उपचार पर है, बचाव पर नहीं।
जीवनशैली में बदलाव करके रोगों से बचा जा सकता है। इसी प्रकार जो गुर्दा रोगी हैं, उनके बेहतर पोषण से उनकी मृत्यु दर कम की जा सकती है। हांगकांग विविद्यालय के डाक्टर एंजेला यी-मूंग वांग ने भी गुर्दे की बीमारियों में खान-पान पर र्चचा की जबकि स्वीडन के डाक्टर पीटर बरानी ने गुर्दे की बीमारियों पर प्रकाश डाला। गुर्दा रोग विशेषज्ञ डा मनीष मलिक ने गुर्दे की बीमारी के लिए एमिल द्वारा पेश की गई नीरी केएफटी के सकारात्मक असर को लेकर र्चचा की।दवा से गुर्दे की क्षति की भरपाईइस सम्मेलन में पहली बार गुर्दे के उपचार में प्रभावी दवा नीरी केएफटी पर भी प्रजेंटेशन दिया गया। इस दवा का आविष्कार एवं निर्माण करने वाली कंपनी एमिल फार्मास्यूटिकल के कार्यकारी निदेशक संचित शर्मा ने प्रजेंटेशन में बताया कि जिन लोगों को गुर्दे की बीमारी शुरुआती अवस्था में है, वे यदि इस दवा का सेवन करें तो बीमारी बढ़ती नहीं है बल्कि गुर्दे को जो क्षति अब तक हुई है, धीरे-धीरे उसकी भरपाई हो जाती है।
इस दवा में एक औषधि पुनर्नवा है जो गुर्दे की क्षतिग्रस्त कोशिकाओं को फिर से सक्रिय करने में मदद करती है।परीक्षण में उतरी खरीनीरी केएफटी को लेकर इंडो अमेरिकन जर्नल ऑफ फार्मास्युटिकल रिसर्च में प्रकाशित शोध के अनुसार दवा पांच आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों गोखरू, वरु ण, पत्थरपूरा, पाषाणभेद, पुनर्नवा से बनी है। चूहों पर हुए परीक्षण में पाया गया है कि जिन चूहों को नीरी केएफटी दवा दी जा रही थी उनके गुर्दो की कार्यपण्राली शानदार पाई गई। उनमें भारी तत्वों, मैटाबोलिक बाई प्रोडक्ट जैसे क्रिएटिनिन, यूरिया, प्रोटीन आदि की मात्रा नियंत्रित पाई गई। जिस समूह को दवा नहीं दी गई, उनमें इन तत्वों का प्रतिशत बेहद ऊंचा था
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