उदयपुर। आम तौर पर हाथ और पैर में मिलने वाली ऑस्टियो सारकोमा बीमारी एक किशोरी के जबडे में थी। जीबीएच अमेरिकन हॉस्पिटल के ईएनटी विभाग में इस किशोरी का ऑपरेशन कर जबडे से ऑस्टियो सारकोमा बीमारी की गठान निकाली गई। जबडे में इस तरह की बीमारी पूरे विश्व में बमुश्किल १५-२० बच्चों में ही हुई है।
ग्रुप डायरेक्टर डॉ. आनंद झा ने बताया कि जीबीएच अमेरिकन हॉस्पिटल के ईएनटी विभाग में पिछले दिनों एक १३ वर्षीय किशोरी को जबडे में गठान की समस्या लेकर परिजन पहुंचे थे। इसे उसके परिजनों ने कई जगह दिखाया था, लेकिन सभी जगह साधारण गठान मानकर इलाज दिया गया। इससे किशोरी की गठान में कहीं पर भी कोई फर्क नहीं पडा था। यहां जीबीएच अमेरिकन हॉस्पिटल के ईएनटी सर्जन डॉ. कनिष्क मेहता ने किशोरी की सीटी स्कैन व गठान की बायोप्सी कराई जिसमें यह गठान ऑस्टियो सारकोमा की पाई गई। यह आम तौर पर पैर या हाथ में पाया जाात है। इतनी कम उम्र में मुंह या अन्य अंग पर ऑस्टियो सारकोमा रोग विश्व में बमुश्किल ४० केस ही मिले है। इसमें से जबडे में यह बीमारी बमुश्किल १५-१७ बच्चों में ही मिली है। डॉ. मेहता ने इस पर सर्जरी करके यह गठान निकालना तय किया गया। इसमें किशोरी के जबडे का ऑपरेशन कर ऑस्टियो सारकोमा वाले हिस्से को निकालकर जबडे का प्रत्यारोपण किया गया। इसमें हटाए गए दांत को भी कुछ समय बाद नए लगाए गए। डॉ. मेहता के अनुसार यह बीमारी जबडे को खोखला करते हुए बाहर आती है। इस बीमारी के चलते किशोरी के चेहरे का आकार बिगड गया था और वह खाना भी नहीं खा पा रही थी। ऑपरेशन और जबडा प्रत्यारोपण के बाद यह बीमारी जड से समाप्त की गई और अब किशोरी पहले की तरह खाना खाने लगी है।
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