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राजस्थान में ‘ड्रिकिंग वॉटर ग्रिड’ की स्थापना के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाये

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23 Jan 15
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नई दिल्ली में आयोजित राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल परियोजना की समीक्षा बैठक सम्पन्न राजस्थान में ‘ड्रिकिंग वॉटर ग्रिड’ की स्थापना के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाये

श्रीमती माहेश्वरी ने केन्द्रीय मंत्राी से अनुरोध करते हुए कहा कि वर्ष 2014-15 के लिए राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम (एन.आर.डी.डब्ल्यू.पी) के अन्तर्गत राजस्थान को आवंटित कुल धनराशि़ में से 70 प्रतिशत राशि से अधिक राशि का उपयोग किया जा चुका है। जो कि देश में सबसे अच्छा प्रदर्शन है। इसलिए राजस्थान को आगे मार्च, 2015 तक इस कार्यक्रम को सुचारू ढंग से चलाने के लिए 1 हजार 50 करोड़ रूपये की अतिरिक्त धनराशि उपलब्ध करवायी जावें।

राजस्थान में ‘ड्रिकिंग वॉटर ग्रिड’ की स्थापना के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाये राजस्थान की जन स्वास्थ्य एवं अभियान्त्रिाकी मंत्राी श्रीमती किरण माहेश्वरी ने केन्द्र सरकार से राजस्थान में स्थापित की जाने वाली ‘ड्रिकिंग वॉटर ग्रिड’ की स्थापना एवं कार्यान्वयन के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करने का आग्रह किया है। उन्होने कहा कि इसके लिए आगामी वर्षो में राज्य में शुद्ध पेयजल उपलब्ध करवाने एवं योजनाओं में कार्यान्वयन के प्रथम चरण के लिए राज्य सरकार ने केन्द्र को 30 हजार करोड़ रूपये के प्रस्ताव भेजे हैं। जिन पर जल्दी ही सकारात्मक परिणाम मिलने की उम्मीद है।
श्रीमती माहेश्वरी ने गुरूवार को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्राी श्री वीरेन्द्र सिंह की अध्यक्षता में आयोजित राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल परियोजना की समीक्षा बैठक के दौरान राज्य की विषम भौगोलिक परिस्थितियों और भू-जल एवं सतही जल की चिंताजनक स्थिति से अवगत करवाते हुए यह मांग रखी।
उन्होेंने कहा कि राजस्थान राज्य की कुल जनसंख्या लगभग 6.96 करोड़ है, जो भारत की कुल जनसंख्या का 5.5 प्रतिशत है। राज्य की सतही जल व भूजल की उपलब्धता देश में कुल उपलब्धता के सापेक्ष में क्रमशः 1.1 प्रतिशत एवं 1.7 प्रतिशत है। विश्व में प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष पानी की उपलब्धता 2000 घनमीटर, भारत में प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष पानी की उपलब्धता 1700 घनमीटर है, जबकि राजस्थान राज्य में प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष पानी की उपलब्धता मात्रा 640 घनमीटर ही है। राज्य में पशुधन की संख्या देश की कुल संख्या का 18.70 प्रतिशत है एवं पशुधन की अधिकता होने के फलस्वरूप पेयजल की मांग निर्धारित मापदण्डों से भी अधिक रहती है। वर्तमान में राज्य में भूजल का औसतन दोहन 135 प्रतिशत है तथा जयपुर में 600 प्रतिशत तक है, इस कारण वर्तमान में राज्य के कुल 248 ब्लॉक में से मात्रा 25 ब्लॉक ही सुरक्षित बचे हैं, जो वर्ष 1984 में 135 थे। यदि इसी तरह निरन्तर भूजल का दोहन होता रहा तो आने वाले वर्षो में ये भी सुरक्षित नही रहेंगे।
श्रीमती माहेश्वरी ने कहा कि राजस्थान के बड़े भू-भाग का भूजल पीने योग्य नहीं है। देश के कुल लवणता प्रभावित (ैंसपदपजल मििमबजमकद्ध गांव/ढाणियों में से 84 प्रतिशत अकेले राजस्थान में है, इसी प्रकार देश के कुल फ्लोराईड प्रभावित गांव/ढाणियों में से 54 प्रतिशत एवं नाइट्रेट प्रभावित गांव/ढाणियों में से 55 प्रतिशत गांव/ढाणियां हमारे राज्य में हैं। देेेेेेेेेेेेेेश के एक तिहाई से अधिक रेगिस्तानी ब्लॉक भी इसी प्रदेश में है। गुणवत्ता प्रभावित राजस्थान के गांव, ढाणियां जिन्हें सतही जल स्त्रोतों से जोड़ने में समय लगने की सम्भावना है, वहॉ शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के लिए राजस्थान की मुख्यमंत्राी श्रीमती वसुंधरा राजे ने प्रतिवर्ष में 1000 आर.ओ. प्लांट लगाने का निर्णय लिया है जिसके तहत राज्य में आर.ओ. प्लांट स्थापित किये जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि राजस्थान जल संरक्षण के प्रति काफी जागरूक है, राज्य के शहरी क्षेत्रो में 300 वर्ग मीटर से अधिक क्षेत्राफल के भवनों मंे वर्षा जल संचयन अनिवार्य बनाया गया है। पी.एच.ई.डी द्वारा आई.ई.सी एवं ग्रामीण जल एवं सफाई कमेटियों के माध्यम से आम जन में जल संरक्षण के प्रति जागरूकता उत्पन्न करने का कार्य किया जा रहा है।
श्रीमती माहेश्वरी ने बताया कि राज्य सरकार प्रदेश में पेयजल की समस्या से निपटने एवं प्रधानमंत्राी की नदियों को जोड़ने की महत्वाकांक्षी परियोजना को क्रियान्वित करने के लिए दृढ़ संकल्प है। इसलिए सरकार द्वारा ‘ड्रिकिंग वॉटर ग्रिड’ की स्थापना का कार्य हाथ में लिया है। जिसका मुख्य उद्देश्य सतही स्त्रोतों पर आधारित पेयजल योजनाओं में पानी की सतत् उपलब्धता सुनिश्चित कराना है। जिन सतही स्त्रोतों में पानी की कमी है, उनमें सदैव पानी उपलब्ध कराने के लिए अधिशेष स्त्रोतों से जल की कमी वाले स्त्रोतों में स्थानान्तरित करने का कार्य वॉटर ग्रिड के माध्यम से किया जाना है। इस हेतु राज्य सरकार द्वारा जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग की पेयजल मांग की प्राथमिकता पर कुछ नदियांे को जोड़ने हेतु चिन्हित किया गया है। इन चिन्हित नदियों को जोड़ने की परियोजना के क्रियान्वयन उपरान्त राज्य की पेयजल परियोजनाओं को सतत् जल उपलब्ध करवाने में सहायता मिलेगी।
श्रीमती माहेश्वरी ने केन्द्रीय मंत्राी से अनुरोध करते हुए कहा कि वर्ष 2014-15 के लिए राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम (एन.आर.डी.डब्ल्यू.पी) के अन्तर्गत राजस्थान को आवंटित कुल धनराशि़ में से 70 प्रतिशत राशि से अधिक राशि का उपयोग किया जा चुका है। जो कि देश में सबसे अच्छा प्रदर्शन है। इसलिए राजस्थान को आगे मार्च, 2015 तक इस कार्यक्रम को सुचारू ढंग से चलाने के लिए 1 हजार 50 करोड़ रूपये की अतिरिक्त धनराशि उपलब्ध करवायी जावें।
उन्होने बताया कि राज्य की 1 लाख 21 हजार में से 23 हजार 956 बस्तियां अल्प गुणवत्ता युक्त और दूषित पानी की समस्या से ग्रस्त है। उन्होने आग्रह किया कि इन समस्याग्रस्त ढ़ाणियों को पेयजल उपलब्ध करवाने एवं आगामी वर्षो में सतही स्रोतों से जोड़ने के लिए प्रतिवर्ष 7275 करोड़ रू. की अतिरिक्त केन्द्रीय सहायता राज्य को प्रदान की जावें। ताकि राज्य की जनता के लिए शुद्ध पेयजल उपलब्ध करवाया जा सके।
बैठक में जनस्वास्थ्य अभियात्रिंकी विभाग के प्रमुख सचिव श्री ओ.पी. सैनी एवं अन्य अधिकारीगण मौजूद थे।
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