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लबालब भरे पांच एनिकट में जल संग्रहण से बदली गांव की तस्वीर

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31 Jul 17
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डूंगरपुर / एक कौआ प्यासा था.....घडे में पानी भी था, पर पहुंच से बाहर................. कुछ ऐसी ही स्थिति थी, राजस्थान के दक्षिणाचंल स्थिति डूंगरपुर जिले की ग्राम पंचायत साबली की। पंचायत समिति बिछीवाडा की कुल चार हजार चार सौ छियालिस की आबादी वाली ग्राम पंचायत साबली में कहने को तो ‘सापण’ नदी बहती है परंतु गर्मी में नदी में पानी लगभग नही के बराबर रहता है। नदी में जिन दिनों में पानी रहता भी है तो गहरा एवं बहाव अधिक होने, नदी के पाल के किनारे कच्चे होेने और कही भी पानी का ठहराव नही होने से ना तो यह पानी इस क्षेत्र के निवासियों के किसी उपयोग में आता था, ना ही सिंचाई और पशुधन के लिए। बरसों पूर्व बने एनिकट भी पूर्ण रूप से टूट चुके थे।
इस ग्राम पंचायत के अधीन आने वाले तीन राजस्व गांवों साबली, मांडवा भेराभाई एवं मांडवा बियोला के निवासी अधिकतर खेतीहर किसान है । ग्राम पंचायत में कुछ निजी कुओं के अलावा अन्य कोई जल स्रोत नही होने तथा इन कुओं में भी जल स्तर अत्यधिक न्यून रहने से गांववासियों पर संमदर के किनारे प्यासे खडे रहने की कहावत सहज ही चरितार्थ हो रही थी। जीवन की महत्ती और पहली आवश्यकता जल के लिए साबली ग्राम पंचायत निवासियों को खासी मशक्कत करनी पड रही थी।
ऐसे में इन गांववासियों के लिए संजीवनी बनकर आया राजस्थान सरकार द्वारा मरू प्रदेश को जल समृद्ध बनाने के लिए चलाया गया जल क्रांति अभियान-मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान का द्वितीय चरण।
अधीक्षण अभियंता एवं नोडल अधिकारी आर. के. अग्रवाल ने बताया कि इस अभियान के तहत ग्राम पंचायत साबली में विभिन्न विभागों के अन्तर्गत कुल स्वीकृत 45.617 लाख की राशि के साथ पांच एनिकट मांडवा बियोला, चोरदरी, पटवार भवन, साबली और सियालियावाला के जीर्णोद्धार कार्यो को स्वीकृति प्रदान हुई। स्वीकृति के बाद ही जिला प्रशासन के निर्देशन में युद्धस्तर पर चले कार्यो को दु्रत गति से पूरा किया गया।
मौके पर कनिष्ठ तकनीकी सहायक प्रियंक शाह एवं ग्राम सचिव हीरालाल पटेल ने बताया कि मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान के द्वितीय चरण में इन पांचों एनीकट के जीर्णोद्धार का कार्य होने से अब मांडवा बियोला में 2 एमसीएफटी, चोरदरी एनिकट में 2 टीसीएम, पटवार भवन एनीकट में 7.2 टीसीएम, साबली एनीकट में 1.75 एमसीएफटी और सियालियावाला एनीकट में 3.6 टीसीएम जल संग्रहण होने से इस क्षेत्र के लोगों को सिंचाई, पेयजल के अलावा पशुधन के लिए भी सहजता से पानी उपलब्ध हो सकेंगा। उन्होंने बताया कि जीर्णोद्धार के साथ ही पटवार भवन एनीकट का गहरीकरण कर भराव क्षेत्र को भी बढ़ाया गया है, पहले इसमें जलीय घास से भराव नही हो पाता था। इसके अलावा एनीकट एप्रेन एवं साईट वॉल का निर्माण होने से समीप स्थित खेतों को मिट्टी कटाव की समस्या से भी निज़ात मिल सकेगा।
ग्राम पंचायत साबली के पूर्व सरपंच लीलाराम वरहात ने अत्यधिक प्रसन्नता के साथ बताया कि इन राजस्वों गांवों के क्षेत्र में इन एनीकटों में बरसात के बाद अधिक मात्रा में पानी का भराव हुआ है और इससे यहां के निवासियों को सिंचाई में विशेष लाभ होगा। साथ ही हमारे पशुओं के लिए पानी उपलब्ध हो सकेगा।
खाकुरवा फला के निवासी थावरा भाई ने राज्य सरकार का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि अब तक हमें केवल मानसून की ही फसल मिलती थी परंतु अब हम सब्जियां और जायद फसल भी प्राप्त कर सकेंगे।
पहले जहां पानी की कमी से क्षेत्रवासी त्रस्त थे वहीं अब ग्राम पंचायत साबली में मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान द्वितीय चरण के तहत हुए जीर्णोद्धार कार्यो की बदौलत आज वहां लबालब भरे एनीकटो को देखकर सहज ही मन प्रफ्फुलित हो जाता है।
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