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नवाचार सोलर लैम्प प्रोजेक्ट के लिए मिला एक्सीलेंस अवार्ड

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21 Apr 17
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नवाचार सोलर लैम्प प्रोजेक्ट के लिए मिला एक्सीलेंस अवार्ड डूंगरपुर | नई दिल्ली के विज्ञान भवन में शुक्रवार को ग्यारहवें सिविल सेवा सर्विसेज डे की थीम ‘मेकिंग फॉर न्यू इंडिया’ पर आयोजित भव्य समारोह में डूंगरपुर जिला कलक्टर सुरेन्द्र कुमार सोलंकी को जिले में सोलर लैम्प प्रोजेक्ट के नवाचार के लिए प्रधानमंत्री एक्सीलेंस अवार्ड प्रदान किया।
पांच सौ निन्यावें जिलों में से चयनित हुआ डूंगरपुर:
इस पुरूस्कार के लिए देश के पांच सौ निन्यावें जिलों से आई प्रविष्टियों में सें क्रमवार जांच एवं निरीक्षण चयन कमेटियों की स्क्रीनिंग टेस्ट, साइट निरीक्षण के बाद डूंगरपुर जिले के सोलर लैम्प प्रोजेक्ट ने पुरूस्कार के लिए चयनित बारह जिलों में अपना स्थान बनाया।
लाईव प्रसारण देख गौरवान्वित हुई सोलर सखियां:
डूंगरपुर के ईडीपी सभागार में दूरदर्शन दिल्ली, जयपुर एवं भोपाल से आई टीमों के सदस्यों के अथक प्रयासों से प्रोग्राम एज्यूकेटिव डॉ. वासुदेव के निर्देशन में जब दिल्ली में आयोजित समारोह का लाइव प्रसारण सोलर सखियों ने देखा तो अपने कार्य के लिए जिले को मिले इस सम्मान से गौरवान्वित हो खुशी से फुली नही समा रही थी। उनके चेहरे पर मेहनत से मिले परिणाम के सुखद अहस़ास को साफ-साफ महसूस किया जा रहा था।ँ
राज्य सरकार के सहयोग एवं जिला प्रशासन की मेहनत से मिला गौरव:
राज्य सरकार के मार्गदर्शन एवं सहयोग के बूते जिला प्रशासन की कडी मेहनत एवं सतत प्रयासों की बदौलत पहली बार डूंगरपुर जिले को महिला सशक्तिकरण के प्रयासों के तहत अपनी तरह की अनूठी परियोजना एवं नवाचार के लिए सम्मान प्राप्त हुआ है।
जिला प्रशासन डूंगरपुर की पहल पर राजीविका (राजस्थान ग्रामीण आजीविका विकास परिषद) के क्लस्टर स्तर महासंघों (सीएलएफ) के साथ साझेदारी राजस्थान ग्रामीण आजीविका विकास निगम के तत्वावधान में करते हुए सोलर लैंप निर्माण परियोजना का सफल संचालन किया गया। कड़ी मेहनत एवं सार्थक प्रयासों की बदौलत निर्माण परियोजना में मिली अभूतपूर्व सफलता ने नई कहानी लिख दी। जिला प्रशासन, जनप्रतिनिधियों एवं पूरी टीम की मेहनत से कदम-दर-कदम बढ़ते हुए डूंगरपुर में महिला सशक्तिकरण की अनूठी इबारत लिखते हुए भारत में पहली बार जनजाति क्षेत्र की महिलाओं के स्वामित्व वाले सौर पैनल निर्माण संयत्र ‘दुर्गा’ की आधारशिला रखी गई।
नवाचारों की पुस्तक में प्रमुखता से दर्शाया सोलर लैम्प:
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा नई दिल्ली के विज्ञान भवन में विमोचन की गई नवाचारों की पुस्तक में डूंगरपुर जिले के सोलर लम्ैंप प्रोजेक्ट को प्रमुखता से स्थान प्रदान करते हुए दर्शाया गया है। सिविल सर्विसेज दिवस पर प्रधानमंत्री पुरूस्कार समारोह के दौरान प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा इस पुस्तक का विमोचन किया गया। सोलर लैम्प निर्माण करती हुई डूंगरपुर जिले की महिला इंजीनियर्स के छायाचित्रों के साथ प्रकाशन जिले को गौरवान्वित करने वाला हैै।
जिले में खुशी की लहर:
शुक्रवार को डूंगरपुर जिले को मिले प्रधानमंत्री एक्सीलेंस अवार्ड के लिए पूरे जिले के लोगों में खुशी की लहर छा गई है। जनप्रतिनिधियों, अधिकारियों, कर्मचारियों से लेकर आमजन में जबर्दस्त उत्साह एवं खुशी है। सभीजन एक दूसरे को बधाई देते नज़र आएं।
यह है परियोजना की पृष्ठभूमि:
जिला प्रशासन-डूंगरपुर ने राजीविका (राजस्थान ग्रामीण आजीविका विकास परिषद) के क्लस्टर स्तर महासंघों (सीएलएफ) के साथ साझेदारी में जिले के दूरदराज के क्षेत्रों में ‘सौर अध्ययन लैंप’ वितरण कार्यक्रम (मिलियन सोउल परियोजना) शुरू करने के लिए आईआईटी बॉम्बे को आमंत्रित किया। आईआईटी बॉम्बे इस से पहले भी एक लाख सौर अध्ययन लैंप भारत के विभिन्न भागों में वितरित कर चुका है । डूंगरपुर में लैम्प्स किफायती दरों में उपलब्ध कराने के लिए धन आइडिया सेल्युलर सीएसआर द्वारा प्रदान किया गया है।
यह पहल सौर उद्यम के स्थानीय विकास पर केंद्रित है, जिस में लैम्प्स बनाने एवम बेचने के लिए सीएलएफ से महिला स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) के सदस्यों को प्रशिक्षण एवं परामर्श दिया गया है। इस परियोजना का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा स्थानीय महिलाओं को सौर दुकानों का निर्माण जिनमे लैम्प्स की मरम्मत और रखरखाव हो सके, के लिए प्रशिक्षित करना है ताकि नियमित रूप से इन लैम्प्स का रखरखाव उपलब्ध करवाया जा सके।
यह एक अनोखी पहल है जिसमे एक आदिवासी और राजस्थान के सबसे पिछड़े ब्लॉकों में से एक की स्थानीय महिलाओं को सशक्त किया जा रहा है जिससे वे सौर उद्यमी बन अपनी आजीविका कमा सके साथ ही साथ यह राजीविका के लिए भी भारी सफलता है जो की जीविकोपार्जन के साधन उपलब्ध करा रही है।
इस परियोजना के दौरान यह कल्पना की गई कि सीएलएफ द्वारा अर्जित आय का एक हिस्सा डूंगरपुर में एक मॉड्यूल निर्माण इकाई की स्थापना हेतु इस्तेमाल किया जाएगा जिससे लैंप संयोजन की प्रक्रिया को स्थानीय उत्पादन के अगले चरण तक ले जाया जा सके।
वर्तमान स्थिति:
पूर्व में 24 लाख रुपए से अधिक कोष राशि आदिवासी महिलाओं द्वारा औद्योगिक कारखाने की स्थापना के लिए एकत्रित की गयी थी। भारत में पहली बार पूर्णतया स्थानीय जनजातीय समुदाय के स्वामित्व वाला और उन्ही के द्वारा संचालित सौर मॉड्यूल निर्माण संयंत्र स्थापित किया जा रहा है। जिला कलक्टर सुरेंद्र कुमार सोलंकी के अधीन जिला प्रशासन ने अपनी सीमाओं से बाहर जाकर परियोजना को सभी संभव तरीकांे से सहयोग किया है। भूमि उपलब्ध कराने एवम नियामक सहयोग के साथ साथ धन जुटाने का भी वादा किया। मिलियन सोउल परियोजना का नेतृत्व कर रहे प्रो चेतन सिंह सोलंकी ने बताया कि आईआईटी बॉम्बे के लिए यह एक गर्व का क्षण है। उन्होंने बताया कि समुदाय के तकनीकी और व्यापार के संचालन में सक्षम हो जाने तक आईआईटी बॉम्बे द्वारा समुदाय को हर प्रकार की सहायता प्रदान की जाएगी। आइडिया सेल्युलर द्वारा अतिरिक्त धन दिया गया है एवं संयंत्र के चार-पांच महीने के अंदर चालू होने की संभावना है।
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