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विश्व के सबसे बड़े पक्षी सारस को रास आ रही है वागड़ की आबोहवा

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23 Jan 18
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विश्व के सबसे बड़े पक्षी सारस को रास आ रही है वागड़ की आबोहवा डूंगरपुर, उड़ने वाले पक्षियों में विश्व के सबसे बड़े पक्षी माने जाने वाले सारस क्रेन को वागड़ की आबोहवा रास आ रही है और यहीं कारण है कि कभी इक्का-दुक्का दिखाई देने वाला सारस क्रेन अब दर्जनों की संख्या में दिखाई दे रहा है। सोमवार को बसंत पंचमी के मौके पर डूंगरपुर जिले के भीलूड़ा कस्बे के तालाब में एक साथ 21 सारस क्रेन दिखाई दिए।
राजस्थान में हाड़ौती के बाद वागड़ अंचल में बहुतायत से पाए जाने वाले इस सारस पक्षी को सोमवार सुबह जिले के ख्यातनाम पक्षी व तितली विशेषज्ञ मुकेश पंवार ने भीलूड़ा कस्बे के गमेला तालाब में देखा गया। यह पक्षी जिले में एक साथ इतनी बड़ी तादाद में पहली बार देखा गया है और इससे स्थानीय पक्षी प्रेमियों में खुशी की लहर व्याप्त है।
वागड़ अंचल में हरोड़ा या हरोड़ी के नाम जाना जाने वाला यह पक्षी मानसून के आगमन का प्रतीक भी माना जाता है। वर्षा ऋतु के आगमन के साथ ही यह जोड़ा बांध कर प्रणय नृत्य करता है तब इसकी मुद्रा सहज आकर्षित करती है। धान के खेत इसके आदर्श पर्यावास है साथ ही नम भूमी एवं तालाबों में इसका बसेरा होता है। मेंढक, मछलीया, घोंघे, कुमुदीनी आदि इसका प्रमुख भोजन है। यह पक्षी नर-कूल डंडीयों का घोसला बनाते है। जो सामान्यतया जलाशय के बिच स्थित किसी टापु, जलाशय के किनारे या जल में तैरता होता है। मादा सामान्यतया दो अण्डे देती है जो हल्के भूरे या गुलाबी रंग के होते है। अण्डे सेहने तथा शावक के पालन पोषण में नर मादा दोनों मिलकर काम करते है। एक ही जीवन साथी के साथ पुरा जीवन बिताने वाले इस पक्षी को आदर्श दाम्पत्य का प्रतीक माना जाता है। इस पक्षी के बारे में यह मान्यता है इनके जोड़े में कोई एक मर जाता है या मार दिया जाता है तो दूसरा भी वही खड़ा खड़ा रोता रहेगा और हो सकता है कि रोते-रोते प्राण छोड़ दे या जीवन भर फिर अकेला घूमता रहेगा।
वागड़ नेचर क्लब के वीरेन्द्रसिंह बेड़सा बताते हैं कि डूंगरपुर जिले में बोड़ीगामा, साबला, पुंजपुर, बड़ौदा, खेमपुर, गणेशपुर, गामड़ी निठाउवा, सोलज, भीलुड़ा, धम्बोला आदि जलाशयों में यह सामान्य तौर पर दिखाई देता है। आज से लगभग दो दशक पूर्व तक यह बड़ी संख्या में होता था, किन्तु इसके प्राकृतिक आवास नष्ट व प्रदूशित होने से भी इनकी संख्या में कमी आई है। इस पक्षी को जोडे़ में रहने के कारण, सम्मान के साथ देखा जाता है। वही हिन्दू संस्कृति में विवाह के समय वर-वधु को सारस के समान प्रेम के साथ रहने का आशीर्वाद दिया जाता है।
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