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न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदी जाने वाली फसलों की सूची में वृद्धि की जाए -डॉ. रामप्रताप

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27 Apr 15
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न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदी जाने वाली फसलों की सूची में वृद्धि की जाए -डॉ. रामप्रताप नई दिल्ली । राजस्थान के जल संसाधन मंत्री श्री डॉ. रामप्रताप ने अन्तर्राज्यीय् समझौतों का सम्मान करने पर जोर देते हुए कहा कि इनके तहत राजस्थान को अपने हिस्से का पूरा पानी मिलना चाहिए। साथ ही विद्युत परियोजनाओें में राजस्थान का हिस्सा निर्धारित किया जाए और केन्द्रीय् विद्युत उपक्रमों द्वारा स्थापित की जाने वाली जल विद्युत उत्पादन परियोजनाओं से भी राज्य् को अधिकाधिक आवंटन किय् जाना चाहिए।


डॉ. रामप्रताप ने शनिवार को नई दिल्ली में केन्द्रीय् गृह मंत्री श्री राजनाथ सिंह की अध्य्क्षता में आयोजित उत्तर क्षेत्रीय् परिषद की 27वीं बैठक में मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे का प्रतिनिधित्व करते हुए राजस्थान का पक्ष रखा। बैठक में राजस्थान, हरिय्णा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू एवं कश्मीर, पंजाब,दिल्ली एवं चडीगढ से संबंधित अन्तर्राज्यीय् मुद्दों पर विचारविमर्श किय् गया।
डॉ. रामप्रताप ने परिषद की बैठक¬ प्रति वर्ष दो बार आयोजित करने का सुझाव दिया ताकि बैठकों में लियो गयो निर्णय्ं की समया पर फॉलोµअप हो सके। उन्होंने राजस्थान, पंजाब एवं हरियाणा राज्यों के मध्य रावीµव्यास नदियों के जल आवंटन समझौते की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि समझौते के तहत राजस्थान को पंजाब द्वारा 0.60 एम.ए.एफ. पानी अभी तक उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है तथा अब पंजाब ने रावी-व्यास जल हिस्सेदारी समझोते को भी मानने से इंकार कर दिया है।
उन्होंने केन्द्र सरकार से आग्रह किया कि उक्त मामले को प्रेसिडेसियल रेफ्रेंस के माध्यम से उच्चतम न्यायालय में चल रहे मामले में विशेष बेंच बनाकर इसकी सुनवाई जल्द करवाई जाए। उन्होंने कहा कि राजस्थान में जल की कमी को देखते हुए उक्त समस्या का अविलम्ब निराकरण किए जाने की आवश्य्कता है।
उन्होंने य्ह भी कहा कि समझौते अनुसार राजस्थान को सिंचाई हेतु 0.17 एम.ए.एफ. पानी भांखडा नांगल मुख्य् नहर के माध्याम से प्राप्त होना था, परन्तु अभी तक वांछित जल उपलब्ध नहीं कराया गया है। इस मामले में केंद्र हस्तक्षेप करे और राजस्थान को प्राथमिकता से जल उपलब्ध कराया जाए।
डॉ. रामप्रताप ने बताया कि पंजाब पुनर्गठन अधिनियाम, 1966 को अनुच्छेद 79 के प्रावधानों के अन्तर्गत रोपड, हरिके एवं फिरोजपुर हैडµवर्क्स का निय्त्राण पंजाब से बी.बी.एम.बी. को हस्तान्तरित होना था, लेकिन अभी तक इन हैडµवर्क्स का निय्त्राण पंजाब सरकार द्वारा बी.बी.एम.बी. को नहीं सौंपा गय् है।
डॉ. रामप्रताप ने कहा कि जम्मू-कश्मीर आधारभूत सुविधाओं के अभाव में अपने रावी-व्यास नदियों के पानी के हिस्से का उपयोग नहीं कर रहा है। अतः इस पानी भी का राजस्थान जैसे पानी की समस्या से जुझ रहे राज्य सहित अन्य हिस्सेदार राज्यों में आबंटन किया जाना चाहिए। उन्होने भाखड़ा व्यास प्रबंधन बोर्ड में राजस्थान का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिए केन्द्र सरकार से आग्रह किया कि बोर्ड में राजस्थान से एक स्थाई सदस्य एवं सचिव की नियुक्ति की जावे।
उन्होने कहा कि सतलुज, व्यास एवं रावी नदिय्ं के जल में हिस्से के संबंध में शर्ता और उत्तरवर्ती करारों के अनुसार राजस्थान ने पंजाब की जल विद्युत उत्पादन परियोजनाओं य्था आनन्दपुर साहिब, मुकेरियान, य्ू.बी.डी.सी. चरणµद्वितीय्, थीन बांध और शाहपुर कांडी जल विद्युत परियोजनाओं में विद्युत हिस्सेदारी के संबंध में दावे दाय्र किय् थे। उन्होंने कहा कि इन दावों पर उच्चतम न्यायालया के निर्णया होने तक जल-विद्युत के केंद्र सरकार के पास अनावंटित हिस्से में से राजस्थान को विद्युत उपलब्ध करवाई जानी चाहियो।
डॉ. रामप्रताप कि राज्या सरकार द्वारा 2 गुणा 660 मेगावाट क्षमता (प्रत्योक) की 3 परियोजनाओं के लिए दीर्धµअवधि हेतु गैस लिंकेज/कोल ब्लॉक्स का आवंटन अभी तक नहीं किय् गया है, जो कि योजनाओं के तीव्र गति से क्रियान्वयान के लिए आवश्याक है। श्री रामपाल ने केन्द्र सरकार से इस सम्बन्ध में शीघ्र कायरावाही करने का अनुरोध किया।
डॉ. रामप्रताप ने केन्द्र सरकार से आग्रह किया कि पंजाब में निर्माणाधीन शाहपुर की विद्युत परियोजना का नियंत्राण बी.बी.एम.बी अथवा किसी अन्य स्वतंत्रा एजेंसी को सौंपा जावे साथ ही इस परियोजना मे विद्युत आवंटन के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिशा निर्देश प्राप्त किए जावे।
डॉ. रामप्रताप ने आग्रह किया कि केन्द्र सरकार हरियाणा एवं उत्तर प्रदेश सरकारों को आवश्यक दिशा निर्देश प्रदान करें, ताकि ये राज्य यमुना से राजस्थान (भरतपुर) को प्राप्त होने वाले पानी के लिए अनाधिकृत रूकावट पैदा नहीं करे। उन्होने कहा कि अन्तर्राज्यीय सीमा एवं वितरण केन्द्रां पर स्वचालित गेज स्थापित किये जावे, ताकि प्रत्येक हिस्सेदार को उसका वाजिब हक मिल सके। उन्होने यमुना पानी वितरण की व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए एक स्वतंत्रा बोर्ड बनाने का आग्रह भी किया जो सभी वितरण केन्द्रो एवं वर्क हेडों की निगरानी कर सके।
श्री रामप्रताप ने पंजाब से राजस्थान में आ रहे प्रदूषित पानी की विकट समस्या पर ध्यान आकर्षित करते हुए यमुना एवं सतलुज नदियों में बढ़ते जल में प्रदूषण पर चिंता व्यक्त की और आग्रह किया कि सभी संबंधित राज्यों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि रावी-व्यास-सतलुज एवं यमुना के प्रदूषण स्तर में इजाफा नहीं हो केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्राण बोर्ड के दिशा-निर्देशों के अनुसार पानी की गुणवत्ता बनायी रखी जावे, ताकि मानव एवं पशुओं पर जल प्रदूषण का नकारात्मक प्रभाव कम किया जा सके। उन्होने ‘‘अन्तर्राज्यीय नदी जोड़ो परियोजना’’ के अन्तर्गत शारदा-यमुना नदी को राजस्थान की साबरमती को जोड़ने के लिए भारत सरकार से प्रयासों में गति देने का आग्रह भी किया।
डॉ. रामप्रताप ने कृषि उत्पाद बाजार अधिनियम में सुधारों की मांग करते हुए कहा कि ठेका कृषि को बाजार फीस से मुक्त किया जाना चाहिए साथ ही उत्पादों की गुणवत्ता, ग्रेड़िग, स्तरीकरण हेतु केन्द्रीय सहायता एवं बाजार विस्तार के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी सुनिश्चित की जानी चाहिए।
उन्होने कहा कि भारत सरकार द्वारा फॉस्फेट एवं पोटाश संबंधित उर्वरको पर से नियंत्राण हटा लिए जाने के कारण अब इनकी कीमत निर्धारण उर्वरक निर्माताओं एवं आयातकों द्वारा किया जा रहा है जिससे इसकी कीमतों में निरंतर वृद्धि हो रही है, बढ़ी कीमतों से बचने के लिए किसान यूरिया उर्वरकों का ज्यादा से ज्यादा उपयोग कर रहे है जिससे भूमि की उर्वरकता एवं गुणवत्ता निरंतर खराब हो रही है। इस गैर संतुलन को सुधारने के लिए उन्होने केन्द्र सरकार से डी.ए.पी. उर्वरकों पर पुनः नियंत्राण एवं कृषि सब्सिडी स्कीम में सुधार करने का आग्रह किया।
डॉ. रामप्रताप ने न्यूनतम समर्थन मूल्य प्राप्त करने वाली फसलों की सूची में वृद्धि करने का आग्रह करते हुए कहा कि राजस्थान में ग्वार, मौंठ, चौला,धनिया, लहसुन, ईसबगोल, अलसी, मेंहदी की पैदावार काफी अधिक मात्रा में होती है परन्तु केन्द्र सरकार द्वारा उक्त फसलों को न्यूनतम समर्थन मूल्य प्राप्त करने वाली सूची में शामिल नहीं किया है। इसमें किसानों को इन फसलों का उचित मूल्य प्राप्त नहीं हो पाता है। अतः केन्द्र सरकार द्वारा उक्त फसलों को भी न्यूनतम समर्थन मूल्य की सूची में शामिल करना चाहिए।
डॉ. रामप्रताप ने छोटे खान मालिकों के हितों की चर्चा करते हुए केन्द्र सरकार से आग्रह किया कि पांच हैक्टेयर से कम क्षेत्रा में खान गतिविधियॉं चलाने के लिए पूर्व में प्राप्त की जाने वाली पर्यावरण क्लीयरेंस लेेने से छूट प्रदान की जानी चाहिए। उन्होने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेश की पालना में राजस्थान सरकार पूर्व में ही सभी राष्ट्रीय पार्को एवं वन्य अभ्यारणों के चारों तरफ ‘‘इको-सैन्सीटिव जोन’’ बनाने का प्रस्ताव भेज चुकी है परन्तु पर्यावरण मंत्रालय में अभी भी ये प्रस्ताब लंबित है। अतः केन्द्र सरकार से आग्रह है कि दो माह की समय सीमा के अंतर्गत इन सभी प्रस्तावों पर अनुमति प्रदान की जावे। डॉ. रामप्रताप ने केन्द्र सरकार से आग्रह किया कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्रा के राजस्थान उपक्षेत्रा में ‘हवा गुणवत्ता निगरानी स्टेशन’’ बनाया जावे ताकि क्षेत्रा में हवा की गुणवत्ता जांची जा सके।
बैठक में राजस्थान के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री अशोक सम्पतराम, प्रमुख खान एवं पेट्रोलियम सचिव डॉ. अशोक सिंघवी, जल संसाधन सचिव श्री अजिताभ शर्मा, पर्यावरण सचिव श्री योगेंद्र दक और राज्य के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया।
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