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फूल बंगले के रजत श्रृंगार में हुए ठाकुरजी के दिव्य दर्शन

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28 Jun 16
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फूल बंगले के रजत श्रृंगार में हुए ठाकुरजी के दिव्य दर्शन निम्बाहेडा / फूल बंगले के रजत श्रृंगार में हुए ठाकुरजी के दिव्य दर्शनकादश कल्याण महाकुंभ के सप्तम दिवस अषाढ कृष्णा अष्टमी मंगलवार को शंख घोष, घंटा ध्वनि, २१ तोपों की सलामी, पुष्प वर्षा और हजारों भक्तों के जयघोष के बीच ठीक १२.३२ बजे जब ठाकुरजी के पट खुले तो फूल बंगले के मध्य हीरों जडे रजत श्रृंगार में ठाकुरजी के दिव्य दर्शन कर देश के कौने-कौने से आए हजारों श्रद्धालुं उनकी मनोहारी छवि अलपक निहारकर धन्य हो गए। पुराण विभागाध्यक्ष डॉ. इच्छाराम द्विवेदी, युवाचार्य रामानुज जी, वेदज्ञ डॉ. विजय शंकर शुक्ला, वेदविदूषी डॉ. उषा शुक्ला, देवगिरी से आए सुब्रमण्यम, मेवाड मालवा वागड क्षेत्र से आए ठाकुरजी के गादीपति महन्त सहित कई संतो ने वेदमूर्ति जन जन के आराध्य ठाकुरजी के दिव्य दर्शन कर ऐसी अनुभूति की मानों राजाधिराज कल्लाजी ने ही इस महाकुंभ को भव्यतम एवं द्विगुणित कर दिया। दिव्य दर्शन के समय वेदीपठ को फूल बंगले का स्वरूप देने में रजनीगंधा, मोगरा, गुलाब, गेंदा, अशोक, हजारी, कमल सहित अनैक प्रकार के पुष्पों द्वारा दिल्ली से आमंत्रित कला पारखियो ने पुरे मनोयोग के साथ सतरंगी स्वरूप दिया, वहीं ठाकुरजी के अनुपम श्रृंगार में प्रयुक्त किए गए अनैक प्रकार के पुष्पों की भीनी-भीनी महक से समुचा वेदपीठ परिसर महक उठा। ठाकुरजी के ऐसे अनुपम दर्शन को देखकर कई दर्शक बरबस ही कह उठे ये तो अद्वितीय, मनोहारी तथा आत्मा में परमात्मा का वास करने जैसे दृश्य यहां से समेट कर चिर स्मृतियों के साथ ले जाने जैसा है। इससे पूर्व कई संतो महंतो की साक्षी में वेदपीठ के गुम्बज पर केसरियां एवं लाल रंग की विशाल ध्वजाएं वैदिक मंत्रोच्चार से पूजन करने के बाद चढाई गई। इस दौरान लगातार समुचे परिसर में जय श्री कल्याण के साथ कल्लाजी के गगन भेदी नारे गूंज रहे थे।
कार्तिकेय महायज्ञ की पूर्णाहुति के साथ महाकुंभ सम्पन्न,
एकादश कल्याण महाकुंभ के उपलक्ष्य में आयोजित सप्त दिवसीय कार्तिकेय महायज्ञ मंगलवार को पूर्णाहुति के साथ सम्पन्न हो गया। प्रारंभ में अंतिम दिवस गौघृत शाकल्य की आहुतियों के साथ लगभग ४०० यजमान जोडो ने भागीदारी निभाते हुए वैदिक मंत्रोच्चार भगवान कार्तिकेय व गणेश के मंत्र तथा ठाकुर श्री कल्लाजी की नामावली के साथ आहुतियों के बाद जब पूर्णाहुति की गई तो समुचा वातावरण यज्ञ परम्परा का साक्षी बन गया। इस दौरान देवगिरी से आए सुब्रमण्यम ने तमिल भाषा में कार्तिकेय की स्तुति करते हुए मंगलाचरण के माध्यम से शडानन की महिमा बखान करते हुए कहा कि भगवान कार्तिकेय को कल्लाजी अतिप्रिय है इसी कारण सुदूर दक्षिणांचल से वे यहा आकर वैदिक परम्परा को जीवन्त बनाए रखने के लिए किए जा रहे प्रयासों की कडी में एक कडी और जोडने के लिए यहां के सुत्रधारों को देवगिरी का आमंत्रण देने के साथ ही वेदमूर्ति कल्लाजी को भी आमंत्रित करने पहुंचे है ताकि उस क्षेत्र में भी ऐसा ही एक विशाल वैदिक विश्व विद्यालय यहां की शाखा के रूप में स्थापित हो सकें।
माता पिता को ईश्वरीय स्वरूप मानकर सेवा करें-आचार्य रामानुज
महाकुंभ के दौरान आयोजित कार्तिकेय महायज्ञ में भाग लेने वाले सभी यजमानों सहित सैंकडो कल्याण भक्तों ने जब शडानन कथा मण्डप में गणपति भाव से शिव पंचायत की अनुभूति करते हुए वैदिक मंत्रोच्चार के साथ मातृ पितृ पूजन कर स्वयं को गणपति के अनुरूप अनुभूति करते हुए पूजन के बाद जब माता पिता की परिक्रमा की गई तो यह दृश्य भी लगातार ११ वें भक्तों तथा विशेषकर युवा पीढी के माता पिता के प्रति अपने त्याग समर्पण सेवा का मार्ग दर्शन करने वाला था, जिसे देखकर युवाचार्य रामानुज जी ने कहा कि इस सुन्दर उपक्रम के माध्यम से वेदपीठ ने लुप्त होती संस्कृति को पुनरू जीवन्त करने के उद्देश्य से महाकुंभ के दौरान मातृ पितृ पूजन का विधान जोडकर हमारी पोराणिक संस्कृति में न केवल स्वर्णिम पृष्ठ जोडा है बल्कि भावी पीढी को माता पिता की अहमियत बताने क अनुठा प्रयास किया है जिससे समस्य युवाओं को प्रेरित होकर माता पिता को ईश्वरीय स्वरूप में अंगीकार करते हुए आजीवन उनकी सेवा का वृत लेना चाहिए। उन्होनें कहा कि भौतिक वादी पदार्थो से प्रेम करने से आत्म दृष्टि खोती जा रही है ऐसे में ईश्वर ने एक नया उपाय सोचकर इस अनुष्ठान को जागृत किया है जिसके माध्यम से हर व्यक्ति को यह महसूस करना चाहिए कि उन्हें परमात्मा के रूप में माता पिता मिले है और वे प्रतिपल उसी भाव से अपनी संतान के लिए चिन्तित है, फिर संतान का भी दायित्व है कि वे ईश्वर स्वरूप में मिले माता पिता को पुरा सम्मान दें। उन्होनें जन मानस को मुस्कराने का संदेश देते हुए कहा कि मुस्कराहट से वेराज्ञ छलकेगा तभी जीव ईश्वर का प्रिय बन सकेगा। युवाचार्य ने कहा कि कथाएं लोगो को नचानें के लिए नहीं बल्कि कान्हां को नचाने के लिए होनी चाहिए। उन्होनें व्यासपीठ की मर्यादा के अनुरूप ईश्वरीय ज्ञान देते हुए श्रोता के मन में परमात्मा के भाव जागृत करने पर बल दिया।
आचार्य इच्छाराम द्विवेदी ने भी कार्तिकेय प्रसंग में माता पिता के सर्वोपरी स्थान की महत्ता बताते हुए कहा कि जिस पर गणेश और कार्तिकेय ने मातृ पितृ भक्ति कर समुचे संसार को नया ज्ञान दिया है उसी अनुरूप सात दिवसीय महाकुंभ की कार्तिकेय कथा से हर व्यक्ति मातृ पितृ भक्ति का संकल्प लेकर यहां से जाए तभी उनका यज्ञ में यजमान बनना और कार्तिकेय कथा श्रवण करना सार्थक होगा।
समर्पण का प्रतीक वैदिक विश्व विद्यालय का स्वरूप,
आचार्य रामानुज जी ने कल्लाजी वेदपीठ के न्यासियों एवं समस्त कल्याण भक्तों के समर्पण भाव की प्रशंसा करते हुए कहा कि इस छोटे से नगर में वैदिक विश्व विद्यालय की स्थापना भले ही कभी दिवा स्वप्न लगती थी, लेकिन सभी के अपने आराध्य के प्रति समर्पण एवं त्याग के फलस्वरूप लुप्त होती वैदिक संस्कृति को संरक्षण देकर जीवन्त बनाए रखने के लिए जो प्रयास किए गए है वे न केवल स्तुत्य है बल्कि ये विश्वास हो गया है बहुत शिघ्र यहां के वैदिक विश्व विद्यालय की धडकने शुरू हो जाएगी। जिससे यह स्थान देश का वैदिक शिक्षा के क्षेत्र में नवीन नक्षत्र के रूप में अपनी पहचान बना पाएगा, इतना ही नहीं यहां पर वेदों की ऋचाओं के गान के साथ शोधार्थी तैयार होने तथा फिर किसी दधिचि के तैयार होने पर भारत एक बार फिर विश्व गुरू बन सकेगा।
प्रतिभावान वीर वीरांगनाओं, आचार्यो, बटुकों का सम्मान,
कल्याण महाकुंभ के उपलक्ष्य में इस वर्ष वेदपीठ की और से प्रतिभावान वीर वीरांगनाओं के साथ ही पूर्ण समर्पण भाव के साथ सेवाएं देने वाले आचार्यो तथा शैक्षणिक एवं अन्य क्षेत्रों में कीर्तिमान बनाने वाले बटुकों को भी आचार्य इच्छाराम द्विवेदी एवं रामानुज जी द्वारा प्रशस्ती पत्र के साथ उपरना ओढाकर स्वागत अभिनन्दन किया गया।
गन्नु महाराज की सुरसरिता ने देर रात तक समां बांधा,
पागल बाबा के परम शिष्य भजन सम्राट गन्नु जी महाराज के साथ आए भजन गायकों ने अनुठे ही अंदाज में सोमवार की संध्या वेला से मध्य रात्रि तक भजनानन्दी स्वर लहरियों के बीच सुरसरिता प्रवाहित कर देर रात तक हजारों भक्तों को बांधे रखा। जिसके फलस्वरूप यह भजन संध्या श्रोताओं के लिए यादगार बन गई। गन्नु जी महाराज ने ठाकुर श्री कल्लाजी का आव्हान करते हुए अपने निराले अंदाज में ----- कल्लाजी मेरा आपकी कृपा से सब काम हो रहा है तथा कीर्तन की है रात प्रस्तुत करते हुए श्रोताओं को तालियों की संगत के साथ एकाकार करते हुए समुचे वातावरण को भक्तिमय बना दिया। उन्होनें कल्लाजी मौरे घर आना, तेरा मेरा रिश्ता जन्मों पुराना है, उनके साथ आए गायकों ने बाबा का दरबार सजा है दर्शन तो कर लेने दे, हम जीयेगें और मरेगें ऐ वतन तेरे लिए, वंदेमांतरम, म्हारा कल्लाजी की अनौखी झांकी, भगत के बस में है भगवान, तेरी तुलना किससे करू मां तथा एक डाल दो पंछी बेठा जैसे मन भावन भजनों की प्रस्तुति देकर ऐसा समा बांधा की श्रोता मध्य रात्रि के बाद भी हिलने का तैयार नहीं थे। इस दौरान कई बार गन्नु जी महाराज श्रोताओं के बीच जाकर उन्हें संगत करने के लिए प्रेरित करते नजर आए। इस भजन संध्या में कंचन सोनी, सन्नी, प्रद्युम्न महाराज ने अपनी गायकी का परिचय दिया वहीं पेड पर सागर, किबोर्ड पर कुनाल, ढोल पर धर्मेन्द्र व ढोलक पर शुभम आईना ने संगत करते हुए अपने कला मर्मज्ञता का परिचय दिया। इससे पूर्व वेदपीठ की वीरांगनाओं आयुषी, अदिती, आशा व सोनू ने गणपति बप्पा मोरिया के साथ गणेश वंदना, नन्ही नृत्यांगना चिंकी शारद ने भरत नाट्यम, पिंकी पुष्करणा ने कथक नृत्य तथा पायल सिंह ने सोन चिरईया की प्रस्तुति से श्रोताओं को आनन्दित कर दिया।
सहस्त्र दीप ज्योति से महाआरती,
सोमवार संध्या वेला में कार्तिकेय कथा की पूर्णाता के बाद व्यासपीठ तथा ठाकुरजी की सहस्त्र दीप ज्योति से की गई महाआरती का विहंगम दृश्य देखते ही बनता था, जिसमें हजारों कल्याण भक्तों की मौजूदगी में टिमटिमाते दीपकों की प्रकाश ज्योति ने समुचे वातावरण को नई जोत जगाने का संदेश दिया। इस अवसर पर विशिष्ट न्यायिक मजिस्ट्रेट ज्योति के. सोनी, पूर्व पालिक अध्यक्ष ममता शारदा सहित अतिथियों ने व्यासपीठ की आरती कर आचार्यो का आशीर्वाद लिया।
एलईडी रहीं आकर्षण का केन्द्र
वेदपीठ के छायाकार योगेश शर्मा के सौजन्य से महाकुंभ के समापन की पूर्व संध्या पर विशाल एलईडी के माध्यम से भजन संध्या का तथा मंगलवार को ठाकुरजी के दिव्य दर्शन सहित प्रथम दिवस निकली शोभायात्रा तथा वैदिक विश्व विद्यालय की परिकल्पना को प्रदर्शित कर दर्शकों को खूब आनन्दित किया।
भव्य आयोजन की सफलता के लिए आभार,
एकादश महाकुंभ के भव्य आयोजन की अपार सफलता के लिए वेदपीठ की और से समस्त कल्याण भक्तों, संतो, महंतो, गादीपतियों, जिला एवं पुलिस प्रशासन, नगरपालिका, समस्त जनप्रतिनिधियों, धार्मिक एवं सामाजिक संगठनों, स्वयं सेवी संस्थाओं, व्यापारियों, मीडिया व प्रेस, वीर वीरांगनाओं, शक्ति ग्रुप की बालिकाओं, कृष्णा शक्ति दल की माता बहनों, वेदपीठ के आचार्यो, वर्तमान एवं पूर्व के सभी बटुकों और दूर दराज से आए हजारों भक्तों के प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष अनुकरणीय योगदान व वेदपीठ के प्रति लगाव के मद्देनजर आभार व्यक्त किया गया।

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