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शाही ठाठ बाठ से निकली शोभायात्रा के साथ कल्याण महाकुंभ का भव्य आगाज

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22 Jun 16
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शाही ठाठ बाठ से निकली शोभायात्रा के साथ कल्याण महाकुंभ का भव्य आगाज निम्बाहेडा / कल्याण नगरी के राजाधिराज के रूप में वेदपीठ पर विराजित ठाकुर श्री कल्लाजी की आषाढ कृष्णा द्वितीया बुधवार को शाही ठाठ बाठ से निकली शोभायात्रा व अनुठी कलश यात्रा के साथ एकादश कल्याण महाकुंभ का भव्य आगाज हुआ, जिसमें उमडे हजारों श्रद्धालुओं ने आनन्द उठाते हुए शोभायात्राओं की दृष्टि से नया इतिहास रच दिया। दशहरा मैदान स्थित प्राचीन ढाबेश्वर महादेव से प्रारंभ हुई अपनी प्रकार की अनुठी व अनौखी शोभायात्रा व कलश यात्रा में हाथी, घोडे, ऊंट गाडिया, महाराणा प्रताप, छत्रपति शिवाजी, हाडी रानी, द्वादश ज्योर्तिलिंग, स्कंद माता की झांकी के साथ ठाकुर श्री कल्लाजी का सुसज्जित रथ नगरवासियों एवं कल्याण भक्तों के आकर्षण का केन्द्र था, वहीं तोप एवं मानव रहित विमान से पुष्प वर्षा के साथ नगरवासियों द्वारा पलक पावडे बिछाकर पग-पग पर शोभायात्रा व ठाकुरजी की अगवानी पुष्प वर्षा के साथ करने के फल स्वरूप कल्याण नगरी की सभी गलियां और मोहल्ले भीनी-भीनी खुशबु से महक उठें। चारों और उमडी अपार जन गंगा ने विगत १० वर्षो में निकली शोभायात्रा को द्विगुणित कर दिया। ढाई किलोमीटर से अधिक लम्बी इस शोभायात्रा की छटा देखते ही बनती थी।
मराठा वाद्य संस्कृति ने मोहित किया,
महाराष्ट्र के मुम्बई से श्री सांई पुनेरी पथक ढोल ताशा के ५१ कलाकारों द्वारा अपनी ही धून और अंदाज में जब प्रदर्शन किया तो दर्शक दांतो तले उंगलियां दबाकर अपलक देखते ही रह गए, कभी उनकी मध्यम गति तो कभी तेज ढोल की थाम ने समूचे नगर को गुंजायमान कर दिया। इस समूह में लोक कलाकार नर नारी अपने ही अंदाज में जब प्रस्तुतियां दे रहे तो हर व्यक्ति उनका प्रशंसक बन गया। ठाकुरजी की अनन्य भक्त ज्योति सुभाष के सोजन्य से आए ढोल ताशा पथक ने मेवाडी, वागड, मारवाडी और हाडौती संस्कृति के बीच अपनी प्रस्तुति देकर कई संस्कृतियों के समागम से यहां लघू भारत का प्रतिबिम्ब बन गय।
चतुरांगिनी सेना की कराई अनुभूति
ठाकुर श्री कल्लाजी की रथ यात्रा व शोभायात्रा में वेदपीठ से जुडे वीर एवं वीरांगनाओं ने केसरियां बाने में ढाल तलवार के साथ अश्वारोहण कर तथा शक्ति ग्रुप की मिलेट्री वेश भूषा में बालिकाओं ने शामिल होकर इस शोभायात्रा को वीरवर कल्लाजी की चतुरांगिनी सेना की अनुभूति कराई, जिसमें उनके आराध्य एकलिंग नाथ के रूप में द्वादश ज्योर्तिलिंग, स्कंद माता, महाराणा प्रताप, हाडी रानी सहित अन्य झांकियों के बीच चार समूहों में लगातार फायरिंग से तोप खाने की अनुभूति होने से यह सेना अलग ही अंदाज में नजर आ रही थी। शक्ति ग्रुप की और से कोटा से आई बालिकाओं का अखाडा प्रदर्शन भी हैरतअंगेज करने वाला था, जिनके प्रदर्शन के दौरान दर्शक तालियां बजाकर उत्साहवर्द्धन कर रहे थे। इसी के साथ बडी संख्या में आए अश्व भी अपने करतब दिखाने में पीछे नहीं रहे।
२०० से अधिक प्रभात फेरियों का संगम,
शोभायात्रा में मेवाड, मालवा व हाडौती क्षेत्र से २०० से अधिक हरि बोल प्रभात फेरियों का संगम होने से समूचे मार्ग में भजनानन्दी स्वर लहरियों के बीच नाचते गाते भक्तगण अपने आराध्य को रिझाने में कोई कौर कसर नहीं रख रहे थे, वहीं डी.जे. साउंड व मालवी ढोल की थाप पर नृत्य करते युवक युवतियां भी आनन्द मग्न नजर आए। इन प्रभात फेरियों में फाचर अहिरान की प्रथम, नया गांव की राम जानकी मंदिर की द्वितीय तथा बडीसादडी के लक्ष्मीपुरा की प्रभात फेरी तृतिय रही, जिनके सहित सभी प्रभात फेरियों को वेदपीठ की और से पुरस्कृत व सम्मानित किया गया।
पग-पग पर हुआ स्वागत
कल्याण महाकुंभ के उपक्ष्य में निकली शोभायात्रा, कलश यात्रा व ठाकुरजी के रथ की अगवानी की के लिए नगरवासियों ने भी कोई कौर कसर नहीं रखी। कई धार्मिक, सामाजिक एवं राजनैतिक संगठनों व स्वयं सेवी संस्थाओं द्वारा पुष्प वर्षा के साथ शीतल पेयजल से आगन्तुकों का आत्मिक स्वागत किया गया। मार्ग में विधायक श्रीचंद कृपलानी, पूर्व अशोक नवलखा, नपा उपाध्यक्ष पारस पारख, प्रधान जसोदा मीणा, उप प्रधान अशोक जाट, पार्षद, क्षेत्र के सरपंच गण, पंचायत समिति व जिला परिषद सस्दयगण, मेवाड क्षत्रिय महासभा, श्रीराम सनातन सभा, सावंत ग्रुप, भवानी ग्रुप, धाकड छात्रसंघ सहित कई संगठनों ने स्वागत किया। शोभायात्रा ढाबेश्वर महादेव से रेलवे स्टेशन, मोती बाजार, मोती गेट, सदर बाजार, गणेश चौक, हाथीवाला मंदिर, जैन मंदिर, होलीथडा, जेल रोड, चित्तौडी दरवाजा, कैंची चौराहा, शेखावत सर्कल, महाराणा प्रताप सर्कल, आदर्श कॉलोनी, स्वामी विवेकानन्द सर्कल, कल्याण पोल होते हुए कमधज नगर स्थित वेदपीठ पहुंची। मार्ग में शेखावत सर्कल पर क्षेत्रपाल पूजा तथा प्रताप सर्कल पर महाराणा प्रताप की विधिवत पूजा अर्चना की गई।
दर्शनार्थियों का लगा तांता
महाकुंभ के प्रथम दिन बुधवार को वेदपीठ पर विराजित ठाकुर श्री कल्लाजी सहित पंच देवों के मन भावन श्रृंगार ने जहां भक्तों को मोह लिया, वहीं हजारों दर्शनार्थियों का दिनभर तांता लगा रहा।
कार्तिकेय से मातृ पितृ भक्ति अंगिकार करें-आचार्य द्विवेदी,
आचार्य इच्छाराम द्विवेदी ने कहा कि सभी पुराणों में स्कंद पुराण सबसे विस्तृत है जिसमें ८१ हजार श्लोक है और उसमें भी कार्तिकेय की कथा हमें मातृ पितृ भक्ति अंगिकार करने का संदेश देती है। आचार्य द्विवेदी शिव गिरी परिसर में व्यास पीठ से कार्तिकेय की कथा से पूर्व स्कंद पुराण के महात्म्य पर प्रवचन दे रहे थे। उन्होनें कहा कि ताडकासुर के आतंक से जब सब देवता परेशान थे, तो भगवान शिव की आराधना करने पर कार्तिकेय को देव सेनापति बनाकर राक्षक का वध किया गया। उन्होनें कहा कि भगवान स्कंद शिव के तेज और तप का प्रतिफल है, जिसे माता पार्वती ने शडविद कृतिकाओं ने स्वीकार कर कार्तिकेय को प्रकट किया। प्रारंभ में आचार्य द्विवेदी ने ठाकुरश्री कल्लाजी की पूजा अर्चना की तथा वेदपीठ की और से व्यास पीठ तथा आचार्य द्विवेदी का पूजन अर्चन व सम्मान एवं अभिनन्दन किया। इस अवसर पर राठौड वंश की कुल देवी नागणेचा माता के धाम से आए आचार्य विरेन्द्र कृष्ण ने कलयुग में पतंजलि व ठाकुरश्री कल्लाजी को अवतार निरूपित करते हुए कहा कि हमारे देश ज्ञान का भण्डार रहा है, इसीलिए यह भारत के रूप में पूजनीय है। उन्होनें पारम्परिक आश्रम व्यवस्था के अनुरूप २५ वर्ष की आयु तक ब्रम्हा बनकर ज्ञानार्जन, ५० वर्ष तक विष्णु बनकर परिवार पालन तथा ५० वर्ष के बाद शिव स्वरूप में परिवार के मुखिया बनकर शीतल रहते हुए परिवार की पिडा को सहन करने का संदेश दिया।


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