पार्सल ऑफिस में एजेंट का कब्जा - रेलवे
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30 Mar 15
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पटना: पटना जंकशन और राजेंद्र नगर स्टेशन के पार्सल पर एजेंट का कब्जा है. निर्धारित दर से अधिक पैसे जो सामान पांच सौ रुपये में पहुंच सकता है. उसके लिए लोगों को नौ सौ रुपये देने पड़ रहे हैं. इतना ही नहीं डिलेवरी की भी कोई गारंटी नहीं है. ऐसे भी कई लोग हैं जो सामान डिलिवरी के लिए भटकते रहते हैं.
बावजूद रेल प्रशासन मौन है. सामान के सुरक्षा की भी रेलकर्मी कोई गारंटी नहीं देते हैं. ऐसे में एजेंट के जरिये सामान सुरक्षित पहुंचाने की बात की जाती है. यात्रियों को राहत देने के लिए रेलवे ने ऑन लाइन बुकिंग की सुविधा तो दी,लेकिन सुविधा का लाभ पार्सल बुक कराने वाले यात्रियों को नहीं मिल रहा है. पार्सल कार्यालय में रेट बुकिंग चार्ट नहीं है. यही वजह है कि एजेंट भ्रम में रख कर बुकिंग कराते हैं.
काउंटर तक तो पहुंच ही नहीं पाते हैं आम लोग
एजेंट का जमावड़ा पार्सल बुकिंग ऑफिस के बाहर रहता है. इससे अपने सामान की बुकिंग कराने वाले लोग को वह बाहर ही पकड़ लेते हैं. साथ ही पार्सल कार्यालय में आने वाले कर्मचारी भी संबंधित व्यक्ति को कोई सपोर्ट नहीं करते हैं. ऐसे में एजेंट के जरिये बुकिंग ज्यादा सुरक्षित और आसान लगती है. पार्सल के कर्मचारी बेकार बैठे रहते हैं. क्योंकि पार्सल बुकिंग का अधिकतर काम एजेंट ही करते हैं. वे सिर्फ माल उतारने व डिलेवरी का काम देखते हैं.माल बुक कराने के बदले एजेंट 300 से लेकर 400 रुपये तक अधिक लेते हैं. परेशानी से बचने के लिए माल बुक कराने वाले लोग भी एजेंट को पैसे दे देते हैं. रेलवे के नियम के अनुसार सभी तरह की पार्सल बुकिंग का रेट तय है, लेकिन एजेंट की ओर से पार्सल बुक का रेट तय नहीं है. इसलिए एजेंट यात्री और व्यापारियों से मन चाहा रेट माल बुक कराने के लेते हैं.
रोजाना डेढ़ लाख रुपये का होता है माल बुक
दानापुर मंडल का राजेंद्र नगर टर्मिनल हो या पटना जंकशन दोनों जगहों पर एक से डेढ़ लाख रुपये का माल बुक होता है. इनमें से 80 फीसदी बुकिंग एजेंट की ओर से होती है. इन एजेंटों में पार्सल बुक कराने वाले एवं लीज से बाहर जाने वाले पार्सल के पैकेट की बुकिंग करने वाले भी हैं. साथ ही व्यापारी एवं यात्रियों से प्लेटफॉर्म तक ले जाने एवं ले आने का चार्ज भी अलग से लिया जाता है.
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