बाडमेर। ’चाहे रामायण कथा हो या श्री मद््भागवत कथा। इनमें मात शक्ति को पूजनीय माना है। मां पार्वती, भगवती या माता सीता हो। इन देवियों ने हमेशा विश्व का कल्याण ही किया है। आज भी मातृ शक्ति विभिन्न कष्टों के बाद भी मजबूत है। नारी का दूसरा नाम ही वात्सल्य है। इसी प्रेम में पला बढा यह संसार है। जहां नारी की पूजा होती है वहीं देवताओं का निवास होता है।
यह प्रवचन इंदिरा नगर में शुक्रवार को श्री राम कथा में छठे दिन साध्वी सत्यसिद्धा ने दिए। उन्होंने कहा कि जो बटोरा जाता है वह विषाद होता है, जो बांटा जाए वह प्रसाद होता है। उन्होंने भगवान राम-सीता का विवाह प्रसंग सुनाया। उन्होंने कहा कि माता सीता व भगवान राम का जब विवाह हुआ तो आकाश से पुष्प वर्षा होने लगी। देवी-देवताओं के चेहरों पर अथाह मुस्कान फूटने लगी। प्रकृति खिल उठी। धरती आकाश सब पुलकित होकर इस विवाह के साक्षी बने। ऐसा लग रहा था कि जैसे स्वर्ग धरती पर उतर आया हो। उन्होंने कहा कि रामायण से भरत जैसा भाई, माता सीता की तरह पतिव्रता धर्मपत्नी, राजा जनक जैसे पिता, भगवान राम जैसे आज्ञाकारी पुत्र, भगवान परशुराम जैसे लोक कल्याणकारी संत, पवन पुत्र हनुमान जैसे भगवान राम के सच्चे सेवक से प्रेरणा लेकर अपने जीवन का कल्याण करना चाहिए। जीवन में रामायण को उतारने से ही यह पथ्वी स्वर्ग जैसी हो पाएगी। कथा आयोजक महादेवसिंह पडहार, श्यामसिंह पडहार, राजूसिंह पडहार आदि ने सहयोग किया। कथा में भागीरथ शर्मा, हनुमानराम गौड, चेतनसिंह, गेमरसिंह, आम्बसिंह, चुतरसिंह ईन्दा, शोभसिंह ईन्दा, किशन गौड, अमरसिंह सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित रहे। आयोजक महादेवसिंह ने बताया कि श्री राम कथा २५ मार्च तक दोपहर १ से दोपहर ४ बजे तक चलेगी। उन्होंने आह्वान किया कि अधिक से अधिक श्रद्धालु कथा में शिरकत करें।
Source :