GMCH STORIES

विरासत के साथ नैतिक मूल्यों को सहेजेः विश्नोई

( Read 4017 Times)

17 Oct 17
Share |
Print This Page
बाडमेर। ’ऐतिहासिक विरासत के साथ-साथ नैतिक मूल्यों को भी सहेजकर रखें। भारत कश्मीर से लेकर कन्या कुमारी तक ऐतिहासिक, पर्यटनीय, पर्यावरण की दष्टि से बहुत ही अहम है। भारत म अद्भूत प्राकृतिक सौंदर्य के साथ-साथ प्रकृति की अनुपम छटा और कहीं देखने को नहीं मिलती है। ऐसे भारत को खोजने के लिए विदेशी भी आए। बाडमेर जिले में कोयला, तेल आदि प्राकृतिक संसाधन के साथ-साथ यहां प्रकृति भी अहम है। ‘
यह बात अतिरिक्त जिला कलेक्टर ओ.पी.विश्नोई ने रविवार को गुडाल होटल में आयोजित ’विरासत और नागरिकों की जागरूकता‘ कार्यशाला को संबोधित करते हुए बतौर मुख्य अतिथि कही। उन्होंने वर्तमान में तकनीकी दृष्टि से आए बदलाव को एक चुनौती के रूप में स्वीकार करते हुए ऐतिहासिक परिपाटी को और अधिक मजबूती देने का आहवान किया। कार्यशाला की अध्यक्षता कर रहे भारत विकास परिषद के अध्यक्ष ओमप्रकाश मेहता ने ऐतिहासिक धरोहर को संरक्षण देने के लिए इंटक की ओर से उठाए जा रहे प्रयासों को सराहनीय कदम बताया। इस मौके पर इंटक के संयोजक यशोवर्धन शर्मा ने कार्यशाला के उददेश्यों पर प्रकाश डाला। कार्यशाला के प्रथम सत्र विरासत संरक्षण की आवश्यकता एवं नागरिक के बारे में पीजी कॉलेज के प्रोफेसर डा. आदर्श किशोर जाणी ने तीज, त्यौहार, विवाह, समारोह में राजस्थानी परंपरा से स्वागत, विदाई आदि को उत्कृष्ट बताया। उन्होंने कहा कि परंपरा सुरक्षित रहेंगी तभी सही मायने में भारत निखरेगा। उन्होंने साफा परंपरा, तीज त्यौहार पर घरों में बनाए जाने वाले मांडणों पर भी महत्वपूर्ण जानकारी दी। इस अवसर पर बीएसएफ के सेवानिवृत कमांडेंट जोरसिंह ने बीएसएफ में ऊंटों की सिखलाई व सुरक्षा पर अपनी बात रखी। उन्होंने राजस्थानी परंपरा के अनुसार पहनावे के रूप में गोखरू, मुरकी को भी सहेजने की जरूरत बताई। कार्यशाला संयोजक ओम जोशी ने कहा कि भारत देवों की भूमि है। यहां पर प्रकृति की अलग ही खासियत है। उन्होंने कहा कि कला, संस्कृति, भाषा, नदी-नाले, किले आदि ऐतिहासिक पृष्ठ भूमि रही है। इन सबको संरक्षण देना केवल सरकार की जिम्मेवारी नहीं है, हम सबकी है। द्वितीय सत्र में विरासत संरक्षण में नागरिकों की भूमिका के बारे में बोलते हुए सेवानिवृत प्रोफेसर डा. रामकुमार जोशी ने कहा कि देश में जडी बूटी के भंडार है। औषधीय पौधों को संरक्षण देकर विभिन्न रोगों का उपचार किया जा सकता है। उन्होंने जडी-बूटी से होने वाले उपचार के कुछ नुस्खे भी सुझाए। उन्होंने प्रकृति के साथ हो रहे खिलवाड को रोकने की जरूरत बताई। कार्यक्रम के तृतीय चरण में विरासत संबंधी प्रश्नोतरी एवं खेल का आयोजन हुआ। चतुर्थ चरण में लोक कलाओं का संरक्षण एवं विरासत शिक्षा पर बोलते हुए सेवानिवृत प्रोफेसर डा. बंशीधर तातेड ने कहा कि राजस्थानी लोक कला देश में सबसे अनुठी है। जिले में लोक कलाकारों को संरक्षण देने की आवश्यकता है। इनके लिए कला प्रशिक्षण केंद्र खोले जावें ताकि भावी पीढी भी लोक कला को जीवित रखने में अपनी भूमिका अदा कर सकें।
कार्यक्रम में प्रेरक पुरूषोतम खत्री, सार्वजनिक निर्माण विभाग के सेवानिवृत अतिरिक्त मुख्य अभियंता ताराचंद जाटोल, अम्बालाल खत्री, सम्पत जैन, चेप्टर के सह संयोजक राजेन्द्रसिंह मान सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन ओम जोशी ने किया। अंत में सभी प्रतिभागियों को प्रशस्ति पत्र वितरण किए गए।


Source :
This Article/News is also avaliable in following categories : Barmer News
Your Comments ! Share Your Openion

You May Like