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स्वच्छता स्वतंत्रता से भी ज्यादा महत्वपूर्ण -चौधरी

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02 Oct 17
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बाडमेर / राश्टपिता महात्मा गांधी ने कहा था कि स्वच्छता स्वतंत्रता से ज्यादा महत्वपूर्ण है, आजादी के बाद देष के नागरिक स्वच्छता का कार्य सरकार का मान कर अपने को स्वच्छता के पवित्र कार्य से लगातार दूर करते गये । जिसके परिणाम स्वरूप ना केवल बडे षहरो में बल्कि छोटे-छोटे गांवो में भी गंदगी बढती गयी,उसके चलते हर क्षेत्र में अनेक बीमारियो भी बढीं ।इस गंदगी से मुक्ति पाने के लिये राश्ट्रपिता महात्मा गांधी के १४८ जन्म दिवस पर हम सभी युवाओ को स्वच्छता अपनाने का संकल्प लेकर ना केवल स्ंवय को स्वच्छता अपनानी है बल्कि आस-पास के लोगो को भी स्वच्छता का महत्व समझाने के लिये प्रयासो को अमलीजामा पहनाना है । ं
ये बात भारत सरकार के नेहरू युवा केन्द्र एंवम क्षेत्रीय प्रचार कार्यालय के संयुक्त तत्वाधन में किसान छात्रावास के सभागार में रविवार को स्वच्छता ही सेवा विचार गोश्ठी को संबोधित करते सामाजिक कार्यकर्ताएंवम अध्यक्ष किसान छात्रावास वकील बलवन्तसिंह चौधरी ने व्यक्त किये ।
चौधरी ने बताया कि अब ना केवल षहरो में बल्किदूरदराज के गांवो एंवम ढाणियो के ग्रामीणो की सोच में बदलाव आया है लोग समझने लगे है कि जंहा स्वच्छता है वहां बीमारिया एंवम मच्छर -मक्खीया नही है ।
इस अवसर पर नेहरू युवा केन्द्र के जिला युवा समन्वयक ओमप्रकाष जोषी ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के २ अक्टुबर २०१४ को षुरू किया स्वच्छता का आदोलन अब लोगो का आदोलन बन गया है । षहरो के साथ गांवो में भी स्वच्छता का महत्व लोगो का ना केवल समझ में आया है । बल्कि गरीब से गरीब लोग भी अब अच्छे से अच्छा ना केवल षोचालय बना रहे है बल्कि स्नानघर भी साथ में अपने पैसो का बना रहे है ।
जोषी ने बताया कि गांवो में षोचालय निर्माण से सबसे ज्यादा प्रसन्नता महिलाओ को हुयी है स्वच्छता आदोलन महिलाओ के षोचालय के सपनो का साकार किया हे गरीब महिलाऐं बरसात एंवम सर्दी,गर्मी एंवम बीमारी के सबसे खुले में षोच जाने के लिये बहुतपीडा एंवम दिक्कत का सामना करना पडता था । अनेक बार समय पर निवृत होने के अभाव में वो अनेक बीमारियो से ग्रस्त हो जाती थी । ग्रामीण महिलाओ से जानकारी प्राप्त करने पर सैकडो महिलाओ ने गांवो में षोचालयो के निर्माण को महिलाओ के लिये बहुत ही उपयोगी बताया ।
इस अवसर परयुवा सामाजिक कार्यकर्ता हरदान चौधरी ने बताया कि कोई भी इंसान ऐसा नही है जिसे गंदगी पसंद है। इस सबकी प्रवृति स्वच्छता पसंद है। चौधरी ने बताया कि सर्वे में पता चला है कि जिसके घर में षोचालय बन गया है ओर उसका पूरा परिवार उसका नियमित उपयोग कर रहा है तथा उसके घर के आस-पास स्वच्छता है उसके अनुपात में जो खुले में षोच जाते है जिनके घरो के आगे गदंगी है उनके बीमारी का खर्चा दूसरे परिवार से हजारो रूप्ये ज्यादा होने के साथ बीमारी के समय दो आदमी का रोजगार जाता है एक तो स्ंवय बीमार दूसरा उसकी सेवा में लगा होना ं।इस अवसर पर डीएफपी एंवम नेहरू युवा केन्द्र द्वारा युवाओ को स्वच्छता की षपथ दिलवायी गयी । साथ ही खाना खाने से पहले एंवम षोच के बाद हाथ हमेषा साबुन से धोने का भी संकल्प युवाओ को दिलवाया गया । युवाओ को स्वच्छता प्रचार सामग्री भी वितरित की गयी । नेहरू युवा केन्द्र द्वारा युवाओ को अल्पाहार भी करवाया गया ।

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