बांसवाड़ा, पांच विभिन्न प्रकार की चिकित्साओं के सम्मिश्रण के रूप में प्रसिद्ध आयुर्वेद की प्रमुख चिकित्सा पद्धति पंचकर्म को प्रचारित करने के लिए जिला आयुर्वेद चिकित्सालय द्वारा पहल की जा रही है और इसी का परिणाम है कि पिछले वर्ष भर में बड़ी संख्या में शहरवासियों और ग्रामीणों ने इस चिकित्सा पद्धति का लाभ लेकर स्वस्थ जीवन की सौगात प्राप्त की है।
जिला आयुर्वेद चिकित्सालय की प्रभारी डॉ. उमा चौधरी ने बताया कि राज्य सरकार की मंशाओं के अनुसार चिकित्सालय में गत वर्ष भर में 1700 से अधिक लोगों ने पंचकर्म की विविध पद्धतियों से चिकित्सा करवाते हुए विभिन्न प्रकार के रोगों में लाभ उठाया है वहीं आयुर्वेद के प्रति रूचि रखने वाले स्वस्थ लोगों ने भी इन पद्धतियों के प्रयोग के माध्यम से रोग प्रतिरोधक क्षमता में अभिवृद्धि की है। उन्होंने बताया कि इस कार्य में उनके चिकित्सालय के विशेषज्ञ दल के महेन्द्र कुमार त्रिवेदी, हालुभाई, देवजी और अलकु देवी द्वारा प्रतिदिन सेवाएं दी जा रही हैं।
पंचकर्म में ये सेवाएं है कारगर:
डॉ. चौधरी ने बताया कि पंचकर्म में वमन, विरेचन, वस्ति, रक्तमोक्षण और नस्य कर्म से इलाज किया जाता है। इसके तहत चिकित्सालय में मसाज, शिरोधारा, स्टीम बाथ, कटि स्नान, फेशियल एण्ड फैस पैक, वेट लोस आदि पैकेज का प्रयोग किया जा रहा है। इसका प्रयोग वात, पित्त, कफ त्रिदोषों के संतुलन के लिए किया जाता है। उन्होंने बताया कि मानसिक रोगों व तनाव का शिकार हो चुके लोगों के लिए पंचकर्म बेहद लाभदायक है। इसमें हर्बल तेलों और पाउडरों के मसाज द्वारा उपचार किया जाता है। इसके अलावा घुटने के दर्द, स्पेण्डोलाईटिस, मोटापा, साईटिका, हाईब्लड प्रेशर, सर्वाइकल कैंसर जैसे असाध्य रोग भी इस चिकित्सा पद्धति से ठीक हो चुके हैं। डॉ. चौधरी का कहना है कि पंचकर्म से रोग प्रतिरोधक क्षमता में भी अभिवृद्धि होती है।
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