बाँसवाडा, देवी उपासना के वार्षिक महोत्सव नवरात्रि को देवी भक्त अपने-अपने तरीके से कठोर व्रत के साथ मनाते हैं। इनमें कई देवी उपासक अहर्निश साधना, तप और अनुष्ठानों के साथ जगदम्बा को रिझाने तथा उनकी कृपा प्राप्ति के लिए पूरे समर्पण एवं श्रद्धा के साथ जुटते हैं। नवरात्रि के दिन अहम महत्व के होते है। देवी साधकों की लम्बी परम्परा में आयरन फेब्रिकेशन व्यवसायी नरेश पण्ड्या ’दयालु‘ एक ऐसा नाम है जो मौन साधक के रूप में मशहूर हैं।
बांसवाडा जिले के तलवाडा गांव निवासी नरेश पण्ड्या ’दयालु‘ इस बार भी नवरात्रि में मौन व्रत पर रहेंगे। वे पिछले २२ वर्षों से हर साल नवरात्रि के दिनों में पूरी तरह मौन रखते है और उनका इस व्रत का उद्देश्य विश्व कल्याण की भावना समाहित हैं। पण्ड्या इस नवरात्रि में दिन-रात पूर्ण मौन व्रत रखेंगे, लेकिन खासियत यह रहेगी पण्ड्या इस बार आतंकवाद जैसी घटनाओं व भावनाओं को रोकने के लिए विशेष मौन प्रार्थना करेंगे।
उल्लेखनीय होगा कि नरेश पण्ड्या ’दयालु‘ बांसवाडा जिले के प्रतिभावान कलाकार है। उन्होंने बांसवाडा में फिल्मांकित फिल्म ’ऊपरवाला दे दे छप्पर फाडके‘ में अहम किरदार निभाया है। मुम्बई से आए मशहूर कलाकारों ने भी पण्ड्या की कला को सराहा है। उन्होने हिन्दी, राजस्थानी एवं गुजरानी फिल्मों में यादगार अभिनय किया हैं। पण्ड्या द्वारा गुजरात की जानी-मानी फिल्म ’मज्जा नो प्रेम‘ में तिहरा रोल निभाया है, जिसकी उनकी माफिया डॉन की भूमिका खूब लोकप्रिय रही है। इसके अलावा राजस्थानी फिल्म ’जय माँ त्रिपुरे‘ में उन्होंने जमींदार के पुत्र की, ’शिव पार्वती‘ धार्मिक फिल्म में देवर्षि नारदर का किरदार निभाया है। इसी प्रकार उदयपुर ’मिस कॉल वैवण‘ एल्बम में नरेश पण्ड्या ने अपनी परम्परागत आध्यात्मिक छवि से हटकर एक भ्रष्ट नेता व गुण्डे की भूमिका निभाई है।
अधिकतर रक्ताभ परिधान पहनने वाले तिलकधारी दयालु के गले व कलाई में कई प्राकर की मालाएं है, वहीं चंदन व उम्दा किस्म के इत्रों का उन्हें खूब शौक हैं। पूरे क्षेत्र में भगवा रंग का स्कूटर उनकी खास पहचान हैं। यही पहचान नरेश पण्ड्या के आकर्षक व्यक्तित्व और उनकी आध्यात्मिक और धार्मिक विलक्षणताओं का परिचय देने के लिए काफी हैं।
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