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पाठ्यपुस्तक के संपादक के मुख से हुआ देववाणी का प्रवाह

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28 Jun 17
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बाँसवाड़ा / विद्यार्थियों और शिक्षकों दोनों के लिए मंगलवार के दिन का कक्षा-कक्ष का वातावरण प्रफुल्लित करने वाला था। मंगलवार को राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय बड़ोदिया में विद्यालय विकास एवं प्रबंध समिति की ओर से आयोजित संस्कृत साहित्य पर सेमीनार के पहले दिन पुस्तक के संपादक डॉ. राजेश जोशी स्वयं विद्यार्थियों और अध्यापकों से रूबरू हुए। राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की बारहवी कक्षा के संस्कृत साहित्य में सत्र 2017-18 से पढाई जाने वाली पाठ्यपुस्तक विजेत्री के संपादक डॉ. जोशी से इस पाठ्यपुस्तक में शामिल विषय वस्तु का अध्ययन विद्यार्थियों और शिक्षकों के लिए रूचि जाग्रत करने से कहीं ज्यादा रोमांचित कर देने वाला था। सामान्यतया पाठ्यपुस्तकों में शामिल विषय वस्तु का अध्यापन विषय अध्यापक से ही होना पाया जाता है लेकिन यह पहला अवसर था कि किताब लिखने और संपादित करने वाला व्यक्तित्व ही बतौर शिक्षक विद्यार्थियों के सामने विषय वस्तु की गहराई समझाने के लिए उपस्थित थे।
सनातन संस्कृति से नई पौध को पनपाना है - डॉ. जोशी
पहले दिन विजेत्री पाठ्य पुस्तक के पांच पाठों की व्याख्या तथा विषय वस्तु विश्लेषण करते हुए डॉ. जोशी ने सुभाषित तथा भारतीय संस्कृति के मूलभुत महाकाव्यों एवं रचनाओं को सरल भाषा में प्रस्तुतिकरण दिया। उन्होने कहा कि इस पुस्तक के लेखन और संपादन का ध्येय नई पौध को सनातन संस्कृति के संस्कारों से पल्लवित और पुष्पित करना है। विद्यार्थियों के साथ संवाद करते हुए डॉ. जोशी ने पुस्तक के प्रारंभिक पांच अध्यायों की रचना के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए उनका सरलीकरण किया। अध्यापन के दौरान विद्यार्थियों से प्रश्नोत्तर प्रक्रिया के माध्यम से उन्होने भारतीय संस्कृति और ऋषि मुनियों द्वारा रचित साहित्य के समान्य ज्ञान का परीक्षण भी किया। सेमीनार में संस्कृतविद हरेन्द्र जोशी सहित संस्कृत विषय का अध्यापन कराने वाले शिक्षक मोहन जोशी, धर्मेन्द्र जोशी, मुकेश जोशी, मुदित जोशी ने भी हिस्सा लिया। बड़ोदिया सहित बारीगामा, ईटाउवा, करजी, बुड़वा, नाल तथा सुवाला के चयनित विद्यार्थी इस सेमीनार के माध्यम से दक्ष प्रशिक्षक के रूप में तैयार किए जा रहे है।
पुरातन भाषा और नवीन तकनीक का अनूठा संगम
एक तरफ विश्व की सबसे प्राचीन देववाणी के रूप में प्रचलित संस्कृत भाषा तो दूसरी तरफ पावर पाइंट प्रजेन्टेशन के रूप में नवीन तकनीक का अनूठा संगम भी संस्कृत सेमीनार के आकर्षण का केन्द्र है। विद्यालय के अब्दुल कलाम कक्ष आईटीसी लेब में इस सेमीनार में हिस्सा ले रहे विद्यार्थियों और संस्कृत विषयाध्यापकों को विषय वस्तु की संपूर्ण जानकारी संपादक डॉ. राजेश जोशी ने प्रोजेक्टर के माध्यम से दी। प्रत्येक अध्याय के व्याकरणिक विश्लेषण तथा छंद, अलंकार एवं रस विन्यास को जब नवीन तकनीक से प्रस्तुत किया तो सेमीनार कक्ष में देववाणी तकनीक की धून पर थिरकती नज़र आई।
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