सात साल की बच्ची के साथ अश्लील हरकतें कर उसे पीड़ा पहुंचाने के मामले में कोर्ट ने आरोपी को अलग-अलग धाराओं में दस साल के कठाेर कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही 25 हजार रुपए का जुर्माना किया है।
प्रकरण के अनुसार गंज थाना क्षेत्र में 12 अप्रैल 2016 को एक मकान में किराए पर रहे आरोपी अब्दुल कयूम पुत्र अब्दुल गफूर ने मकान मालिक की ही सात साल की बच्ची के साथ अश्लील हरकतें की। वह बच्ची को अपने कमरे में ले गया तथा गलत हरकतें करने लगा। बच्ची की मां उसे ढूंढ़ते हुए किराएदार के मकान तक पहुंची और दरवाजा खटखटाकर खुलवाया तो अंदर आरोपी अर्द्धनग्न हालत में था तथा बच्ची रो रही थी। बच्ची से पूछा गया तो उसने बताया कि अब्दुल कयूम ने उसके साथ गलत हरकत की है। पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर उसके विरुद्ध आरोप पत्र पेश किया, जिसमें अभियोजन पक्ष ने 6 गवाह और 12 दस्तावेज प्रदर्शित करवाए।
कोर्ट ने भादस की धारा 342 के तहत एक साल के कठोर कारावास, धारा 376 के तहत 10 साल के कठोर कारावास तथा 25 हजार के जुर्माना तथा धारा 5 एल/6 सपठित धारा 29 यौन अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम के तहत 10 साल के कठोर कारावास व 25 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई। ये सब सजाएं साथ साथ चलेंगी। कोर्ट ने नाबालिग पीड़िता के साथ हुए अत्याचार को देखते हुए धारा 357 ए दंप्रसं एवं पीड़ित प्रतिकर स्कीम के तहत पीड़िता को पर्याप्त राशि दिलाने के लिए विधिक सेवा प्राधिकरण को अनुशंसा की है। अभियोजन पक्ष की ओर से विशिष्ट लोक अभियोजक पंकज जैन ने पैरवी की।
कोर्ट की टिप्पणी-कठोर दंड नहीं देंगे तो बढ़ेंगी ऐसी सामाजिक विकृतियां : जज बृज माधुरी शर्मा ने प्रकरण में अब्दुल कयूम पुत्र अब्दुल गफूर को दोषसिद्ध करते हुए टिप्पणी भी की। उन्होंने कहा कि अभियुक्त एक सात वर्ष की अबोध मासूम बालिका को जबरन अपने कमरे में ले गया जो कि अपना भला बुरा भी नहीं समझती थी जो पड़ोस में ही रहती थी और अभियुक्त को अंकल बुलाती थी और अंकल मानते हुए विश्वास करते हुए उसके साथ चली गई। अभियुक्त द्वारा बच्ची को कमरे में बंद करके उसके साथ घिनौना कार्य किया गया और बच्ची के विश्वास को तोड़ा है। यदि अभियुक्त को कठोर दंड नहीं दिया गया तो ऐसी सामाजिक विकृतियों में बढ़ोतरी होगी।
आरोपी कयूम, जिसे दस साल के कारावास की सजा सुनाई गई।
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