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वीसीआर माॅनिटरिंग एवं रिव्यूईंग कमेटी से संबंधित दिशा निर्देश जारी

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16 Aug 17
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अजमेर, डिस्काॅम्स अध्यक्ष श्री श्रीमत पाण्डे ने एक आदेश जारी कर अधिकारियों को निर्देशित किया है कि विद्युत अधिनियम 2003 के प्रावधानों के अनुरूप विद्युत चोरी के मामलों में प्रभावी कार्यवाही किया जाना आवश्यक है। साथ ही सतर्कता जांच में पारदर्शिता रखना एवं सतर्कता जांच प्रतिवेदन के दुरूपयोग को रोकना भी आवश्यक है। इन उद्देश्यों की पूर्ति के लिए, विद्युत चोरी में लिप्त उपभोक्ता/गैर उपभोक्तओं के खिलाफ सख्त कार्यवाही तथा उपभोक्ताओं की शिकायतों की वीसीआर माॅनिटरिंग एवं रिव्यूईंग कमेटी के माध्यम से उचित सुनवाई की जाए।

अध्यक्ष डिस्काॅम ने निर्देश दिए कि यदि उपभोक्ता चैकिंग अधिकारी की कार्यवाही से संतुष्ट नहीं है, तो वह निगम द्वारा गठित संबंधित वीसीआर माॅनिटरिंग एवं रिव्यूईंग कमेटी के समक्ष अपील कर सकता है। विद्युत अधिनियम, 2003 की धारा 135 के अंतर्गत बनाए गए प्रथम अपराध में सतर्कता जांच प्रतिवेदनों पर वीसीआर माॅनिटरिंग एवं रिव्यूईंग कमेटी के समक्ष चैकिंग तिथि से 7 दिवस पश्चात् ही अपील दायर की जा सकती है। यदि उपभोक्ता वीसीआर की तिथि से 7 दिवस की अवधि में विद्युत संबंध पुर्नस्थापित करवाना चाहता है तो उसे संबंधित सहायक अभियंता कार्यालय में सम्पूर्ण वैधानिक दायित्व व प्रशमन राशि जमा करवानी होगी एवं उसके उपरान्त भी यदि वह अपना प्रकरण वीसीआर माॅनिटरिंग एवं रिव्यूईंग कमेटी में रखना चाहता है, तो उसे समक्ष कमेटी के अध्यक्ष के समक्ष अपील दायर करनी होगी।

उन्होंने कहा कि यदि उपभोक्ता वीसीआर की तिथि से 7 दिवस पश्चात् एवं अधिकतम 90 दिवस (विद्युत बिल में वीसीआर जुर्माना राशि जुडने व जारी होने से) की अवधि में अपना विद्युत संबंध पुर्नस्थापित करवाना चाहता है तो उसे वैधानिक दायित्व की 50 प्रतिशत राशि या रूपए 10 लाख (जो भी कम हो) (कृषि कनेक्शनों के मामलों में 20 प्रतिशत) सक्षम कमेटी के अध्यक्ष की अनुमति से जमा करवानी होगी। उपरोक्त राशि मय निर्धारित आवेदन शुल्क के सहायक अभियंता कार्यालय में जमा की जाकर, उसका विद्युत संबंध पुर्नस्थापित किया जाए।

यदि उपभोक्ता अपना कनेक्शन पुर्नस्थापित नहीं करवाना चाहता है एवं अपना प्रकरण संबंधित वीसीआर माॅनिटरिंग एवं रिव्यूंईग कमेटी के समक्ष रखना चाहता है, तो वह संबंधित सहायक अभियंता कार्यालय मंे कमेटी के अध्यक्ष की अनुमति से निर्धारित शुल्क जमा करवाकर अपील दायर कर सकता है। साथ ही जिन मामलों में विद्युत थानों में विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 135 एवं 138 के अन्तर्गत एफआईआर दर्ज हो चुकी है उन मामलों में केवल धारा 135 में दर्ज प्रकरण की वीसीआर माॅनिटरिंग एवं रिव्यूईंग कमेटी निर्धारित प्रावधानों के अनुसार कर सकेगी। धारा 135 के अन्तर्गत कम्पाउण्डिंग राशि व सिविल लायबिलिटी राशि जमा कराने के पश्चात् भी धारा 138 के अन्तर्गत विधिक कार्यवाही जारी रहेगी।

अध्यक्ष डिस्काॅम्स ने निर्देश दिए कि वीसीआर माॅनिटरिंग एवं रिव्यूईंग कमेटी में गैर उपभोक्ता के प्रकरण, जो कि धारा 135 या धारा 138 के तहत दर्ज है, ऐसे प्रकरण केवल धारा 135 के अपराध के लिए वीसीआर के नोटिस से 90 दिवस तक 50 प्रतिशत राशि (कृषि श्रेणी में 20 प्रतिशत) जमा करवाकर सुने जा सकेंगे। धारा 135 के अन्तर्गत कम्पाउण्डिंग राशि व सिविल लायबिलिटी राशि जमा कराने के पश्चात् भी धारा 138 के अन्तर्गत विधिक कार्यवाही जारी रहेगी।

उन्होंने वीसीआर माॅनिटरिंग एवं रिव्यूईंग कमेटी में प्रकरण सुनवाई की समय सीमा के संबंध में निर्देश देते हुए कहा कि उपभोक्ता/गैर उपभोक्ता द्वारा वीसीआर माॅनिटरिंग एवं रिव्यूईंग कमेटी में आवेदन करने के 7 दिवस में सहायक अभियंता पूर्ण प्रकरण मय विवरण संबंधित कमेटी में भेजना सुनिश्चित करेंगे। सहायक अभियंता द्वारा संबंधित कमेटी से सुनवाई की तारीख निर्धारित करवाकर, सुनवाई की तारीख, स्थान व समय का सम्पूर्ण ब्यौरा उपभोक्ता/गैर उपभोक्ता को देना होगा। कमेटी द्वारा आवेदन प्राप्त होने के 15 दिवस के अन्दर उसका निस्तारण करना आवश्यक होगा।

उक्त कमेटी उपभोक्ता/गैर उपभोक्ता के पक्ष की पूर्ण जानकारी लेगी एवं प्राधिकृत अधिकारी, जिसके द्वारा जांच प्रतिवेदन तैयार किया गया है, से भी पूर्ण तथ्यों की जानकारी लेकर विधिसम्मत निर्णय लेगी एवं स्पष्ट आदेश पारित किया जाएगा। कमेटी के आदेशानुसार यदि उपभोक्ता/गैर उपभोक्ता से कोई राशि और जमा करवानी है, तो यह सहायक अभियंता की जिम्मेदारी होगी कि वह आदेशानुसार कार्यवाही करें। यदि कमेटी उचित समझे तो उपभोक्ता की पूर्ण संतुष्टि के लिए विवादित मीटर की जांच निगम की मीटर लेब में उपभोक्ता की उपस्थिति में करा सकती है।

उन्होंने कहा कि यदि उपभोक्ता प्रथम बार कमेटी के समक्ष सुनवाई में नहीं आता है, तो उसे दूसरा व अन्तिम अवसर दिया जाएगा एवं उसके उपरान्त भी नहीं आने पर उसका प्रकरण निरस्त माना जाएगा, जिसका पूर्ण विवरण कमेटी द्वारा आदेश में दिया जाए एवं आदेशानुसार सहायक अभियंता द्वारा पुनः विद्युत संबंध विच्छेदित करने की कार्यवाही की जाए।
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