बांसवाड़ा,जिले की प्रदूषणमुक्त आबोहवा सात समंदर पार रहने वाले परिंदों को बड़ी रास आ रही है इसका ताजा उदाहरण शनिवार को बांसवाड़ा में देखा गया जब यहां कागदी-अप-क्षेत्र में दुर्लभ प्रजाति के प्रवासी पक्षी की पहली बार उपस्थिति दर्ज की गई।
पक्षी विशेषज्ञ और सहायक निदेशक(जनसंपर्क) कमलेश शर्मा ने बताया कि दक्षिणी यूरोप, उत्तरी-पश्चिमी अफ्रिका, मध्य एशिया में प्रजनन करने वाला ब्लू रॉक थ्रश नामक पक्षी बांसवाड़ा जिले में पहली बार देखा गया है। यह पक्षी शहर के उभरते वाईल्ड लाईफ फोटोग्राफर व बर्डवॉचर तृपल मेहता ने शनिवार सुबह कागदी-पिक-अप क्षेत्र से देखा और क्लिक किया। शर्मा ने बताया कि जिले में सर्दियों मंे आने वाले डेढ़ सौ से अधिक प्रजातियों के प्रवासी पक्षियों मंे इसको पहली बार देखा गया है। उन्होंने बताया कि पक्षियों में चेट फेमिली का यह पक्षी आठ से नौ इंच लंबा होता है और यह बहुत ही मधुर स्वर में गाता है।
शहरी जैव विविधता के लिए शुभ संकेत: डॉ. एस.पी.मेहरा
राजपूताना सोसायटी ऑफ नेचुरल हिस्ट्री के संस्थापक और भरतपुर के प्रसिद्ध पक्षी विज्ञानी डॉ. एस.पी.मेहरा ने बताया कि ब्लू रॉक थ्रश की बांसवाड़ा में पहली बार साईटिंग है परंतु पूर्व में यह पक्षी माउंट आबू, फुलवारी की नाल और कुंभलगढ़ मे देखा गया है। बांसवाड़ा में भी शहरी क्षेत्र में देखा जाना यहां की जैव विविधता की इसके प्रति अनुकूलता को दर्शाता है। मेहरा का मानना है कि इसका देखा जाना बांसवाड़ा शहर की समृद्ध जैव विविधता का परिचायक है ऐसे में शहरवासियों को चाहिए कि कम से कम इस प्रकार के परिंदों के लिए अपने आसपास की हरियाली को प्रदूषित होने या समाप्त होने से रोके।
दूसरी ओर डूंगरपुर के पूर्व मानद वन्य जीव प्रतिपालक वीरेन्द्र सिंह बेड़सा ने भी ब्लू रॉक थ्रश की बांसवाड़ा मे पहली बार साईटिंग को शहर की प्रदूषणमुक्त व समृद्ध जैव विविधता का संकेत बताया है।
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