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प्राइवेट स्कूलों में कमाई का सीजन

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28 Mar 15
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नए शिक्षा सत्र शुरू हो चुके हैं तो कई शुरू करने जा रहे हैं। ऐसे में अभिभावकों के लिए जहां एक बार फिर दाखिले के लिए जंग शुरू हो गई है वहीं, स्कूलों के लिए यह कमाई के सीजन जैसा है। बच्चों के एक ही स्कूल में पढ़ने के बावजूद हर साल स्कूलों द्वारा मांगे जा रहे अनेक प्रकार के खर्चो ने अभिभावकों की नींद हराम कर रखी है। बड़ी बात तो यह है कि स्नातक की डिग्री हासिल करना सस्ता है लेकिन नर्सरी में दाखिला लेना कहीं ज्यादा महंगा है। इतना ही नहीं मनचाहे स्कूल में बच्चों का नर्सरी में एडमिशन कराना लोहे के चने चबाने के समान है।
स्कूलों की यह मनमानी इसलिए भी धड़ल्ले से चल रही है कि ज्यादातर स्कूलों ने ऐसे मामलों में नियमानुसार निगरानी रखने वाली कमेटी में अभिभावकों को शामिल तक नहीं किया है। जिसमें फीस बढ़ोतरी से पहले अभिभावक की तरफ से नुमाइंदों की सहमति लेना जरूरी होती है। ज्यादातर मामलों में महज खानापूर्ति ही की जा रही है और स्कूल हर साल अभिभावकों पर किसी न किसी खर्च का बोझ लादने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। छावनी के एसडी विद्या स्कूल का मामला तो सड़क से कोर्ट तक पहुंच चुका है।
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